एक मौसम यहाँ बारिश का भी होता है

ग़ज़ल

Webdunia
ज्ञानप्रकाश विवेक
NDND
मेरी औकात का ऐ दोस्त शगूफा न बना
कृष्ण बनता है तो बन, मुझको सुदामा न बना

वर्दियों की तरह निकला है पहनकर इनको,
अपने जख्मों का तू इस कदर तमाशा न बना

कोई चिट्ठी, न परिंदा न दरों पर दस्तक,
मेरे भगवान, मुझे इतना अकेला न बना

ये न हो कि तू किसी पत्थर में बदल जाए
इतना गहरा किसी दीवार से रिश्ता न बना

एक मौसम यहाँ बारिश का भी होता है 'विवेक'
अपना गत्ते का मकाँ इतना भी अच्छा न बना।

Show comments

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

ज्ञान की ज्योति: भारतीय अध्यात्म और परंपरा का संगम, पढ़ें रोचक जानकारी

हिन्दी कविता: प्रेम में पूर्णिमा नहीं होती

वट सावित्री व्रत: आस्था, आधुनिकता और लैंगिक समानता की कसौटी

बढ़ती उम्र में भी 'शहंशाह' की सेहत का राज: अमिताभ बच्चन ने छोड़ीं ये 5 चीजें!

मेरे पापा मेरी जान हैं, मेरे जीवन की पहचान हैं... फादर्स डे पर पापा को डेडिकेट करें ये 20 दिल छू लेने वाली शायरियां