और अभी कितने हैं दूर?

Webdunia
वेदव्यास

ND
और अभी कितने हैं दूर
किरणों में डूबे वे गाँव
जहाँ सभी इच्छा के पुत्र
खोज रहे अपना अस्तित्व
बहुरंगी दृष्टि के चक्र
परिवर्तित अर्थों के बीच,
अपने को कहते जो पूर्ण
लगते हैं बोने-भयग्रस्त
बीत रहे सारे दिन व्यर्थ
सिमट रहे सूर्यमुखी द्वार,
कुछ भी कह पाने से पूर्व
चुक जाते सारे युगमान

पश्चिम के बिखेर रहे सूत्र
रक्त सने समया संकेत,
धुंधले जब पड़ते विस्तार
सीमित हो जाती है सृष्टि
चिंतन जब थके हुए हों
परिभाषा बदलेगा कौन,
अविरल कोलाहल के बीच
उभर नहीं पाते दायित्व
और अभी कितने हैं दूर
महकते गुलाबों के स्वर
जहाँ सभी इच्छा के पुत्र
खोज रहे कस्तूरी गंध।

साभार: कथाबिंब

Show comments

कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती

कब ली गई थी भारत के नोट पर छपी गांधी जी की तस्वीर? जानें इतिहास

सावन में इस रंग के कपड़े पहनने की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

क्या ट्रैफिक पुलिस आपकी स्कूटी की चाबी ले सकती है? जानें कानूनी सच्चाई और अपने अधिकार

किस मुस्लिम देश से भारत आए हैं समोसा और जलेबी, जिनके लिए तम्बाकू और सिगरेट की तरह लिखना होगी चेतावनी

सोमवार सुविचार: पॉजिटिव सोच के साथ करें हफ्ते की शुरुआत

बरसात में कपड़ों से सीलन की स्मेल हटाने के लिए ये होममेड नुस्खा जरूर आजमाएं

क्या कुत्ते के पंजा मारने से रेबीज हो सकता है? जानिए इस डर और हकीकत के पीछे की पूरी सच्चाई

अगर हाथों में नजर आ रहे हैं ये लक्षण तो हाई हो सकता है कोलेस्ट्रॉल, न करें नजरअंदाज

तेजी से वेट लॉस करने के लिए आज से ही शुरू कर दें इंटरवल वॉकिंग, हार्ट और नींद में भी है असरदार