तुम्हारे आने पर

Webdunia
- आशा जाकड ़
मन की खिली पंखुरियाँ तुम्हारे आने पर
कण-कण हुआ रसमय तुम्हारे आने पर
WDWD

झुलस रही थी सारी धरती
चटख रही थी सारी धरती
तृप्त हुआ ये हृदय तुम्हारे आने पर

आसमान में उड़ते बादल
आँखों का बन गया हो काजल
बहने लगी ठंडी बयार तुम्हारे आने पर

इंतजार के टूटे ताले
उमड़ पड़े नदी और नाले
फूटी रस की धार तुम्हारे आने पर

सूख रहे थे वन और उपवन
सुलग रहे थे सबके तन मन
पेड़ों पर निकले पात तुम्हारे आने पर।

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