जीवन की लंबी राहों में, तेरे बिन हम रह ना पाए होठों पर तो गीत बहुत थे, तेरे बिन हम कह ना पाए।।
संध्या की मधुरिम बेला में, तन्हाई मुझको डसती है चंदा संग इठलाती रजनी, व्यंग्य हँसी मुझ पर हँसती है अश्रु बिन्दु पलकों में ठहरे, निकल नयन से बह ना पाए जीवन की लंबी राहों में, तेरे बिन हम रह ना पाए।
भीड़ भरे इन गलियारों में, तेर बिना एकाकीपन है साहिल खोज रही लहरों में, भटकी तरणी सा जीवन है झंझावत सहे हैं हँसकर, तुझसे दूरी सह ना पाए जीवन की लंबी राहों में, तेरे बिन हम रह ना पाए।।
तेरे ही सपने नयनों में, दिल में तेरी ही धड़कन है उलझा है तन संबंधों में, खोया तुझमें मेरा मन है सिमटे सप्त सिंधु अंतर में, पर तुम इसकी तह ना पाए जीवन की लंबी राहों में, तेरे बिन हम रह ना पाए।।