प्यार के पल कितने कम हैं

और तुम कितनी दूर ....

रवींद्र व्यास
NDND
ये रात है और अकेलापन

तारे टिमटिमाते हैं और मेरे अकेलेपन को

और अकेला करते हैं

प्यार के पल कितने कम हैं, कितने छोटे

और अकेलेपन की रातें कितनी लंबी और सूनी

मैं जानता हूँ आसमान की गोद में

ये तारे टिमटिमाते हुए कितने सुंदर लगते हैं

लेकिन तुम्हारे बगैर यह रात एक अजगर है

जिसने मुझे जकड रखा है

धीरे-धीरे मेरी आँखें मूँ द जाएँगी और तुम जान भी नहीं पाओगी

मेरी जिंदगी कितनी छोटी है

और तुम कितनी दूर...!

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