वो रीत दोस्‍ती है....

अरुंधती आमड़ेकर
लड़खड़ाते कदमों को संभाले,
वो हाथ दोस्‍ती है
जि‍से सुनते ही हंस दे दि‍ल,
वो बात दोस्‍ती है

अंगारों को बना दे जो फूल,
वो जादू दोस्‍ती है
बदलकर रख दे जो हर भूल,
वो काबू दोस्‍ती है

अंधेरों को कर दे जो रोशन,
वो दीप दोस्‍ती है
हर आंसू को कर दे मोती,
वो सीप दोस्‍ती है

दि‍ल के हर दर्द पर हो महसूस,
वो कराह दोस्‍ती है
भटकाव के हर मोड़ पर मि‍ले,
वो पनाह दोस्‍ती है

हर नाकामी को जो हरा दे,
वो जीत दोस्‍ती है
हर जमाने में रहे जो जिंदा,
वो रीत दोस्‍ती है....

वो रीत दोस्‍ती है....
वो रीत दोस्‍ती है....
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