हिन्दी कविता : नहीं जानती क्यों

स्मृति आदित्य
सोमवार, 13 अक्टूबर 2014 (15:13 IST)
नहीं जानती क्यों 
अचानक सरसराती धूल के साथ 
हमारे बीच 
भर जाती है आंधियां
और हम शब्दहीन घास से 
बस नम खड़े रह जाते हैं 
 
नहीं जानती क्यों 
अचानक बह आता है 
हमारे बीच 
दुखों का खारा पारदर्शी पानी 
और हम अपने अपने संमदर की लहरों से उलझते 
पास-पास होकर 
भीग नहीं पाते... 


 
 
नहीं जानती क्यों
हमारे बीच महकते सुकोमल गुलाबी फूल 
अनकहे तीखे दर्द की मार से झरने लगते हैं और 
उन्हें समेटने में मेरे प्रेम से सने ताजा शब्द 
अचानक बेमौत मरने लगते हैं..
नहीं जानती क्यों.... 
Show comments

इस Mothers Day अपनी मां को हाथों से बनाकर दें ये खास 10 गिफ्ट्स

मई महीने के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाया जाता है Mothers Day? जानें क्या है इतिहास

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Mothers Day 2024 : मदर्स डे पर पढ़ें इतिहास, शायरी, कविताएं और रोचक जानकारी एक साथ

रिश्ते से खुश नहीं है आपका पार्टनर!

टीनेजर्स को रोज करना चाहिए ये 5 योगासन, हारमोंस रहेंगे बैलेंस

शादी से पहले पार्टनर से जरूर पूछें ये 5 सवाल