अटल बिहारी वाजपेयी की कविता : दूर कहीं कोई रोता है

Webdunia
तन पर पहरा, भटक रहा मन,
साथी है केवल सूनापन,
बिछुड़ गया क्या किसी का,
क्रंदन सदा करुण होता है।
 
जन्मदिवस पर हम इठलाते,
क्यों न मरण-त्योहार मनाते,
अंतिम यात्रा के अवसर पर,
आंसू का अपशकुन होता है।
 
अंतर रोए, आंख न रोए,
धुल जाएंगे स्वप्न संजोए,
छलना भरे विश्व में
केवल सपना ही तो सच होता है।
 
इस जीवन से मृत्यु भली है,
आतंकित जब गली-गली है।
मैं जब भी रोता आसपास जब
कोई कहीं नहीं होता है।
दूर कहीं कोई रोता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

सभी देखें

नवीनतम

सिर्फ नौकरी नहीं, उद्देश्यपूर्ण जीवन चुनिए

बारिश के मौसम में आंखों में हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां, जानिए कैसे करें देखभाल

1 चुटकी नमक बन रहा मौत का कारण, उम्र कम होने के साथ बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा

कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती

राजा हरि सिंह पर खान सर की टिप्पणी से छिड़ा विवाद, जानिए कश्मीर के भारत में विलय की पूरी कहानी

अगला लेख