अटल बिहारी वाजपेयी की कविता : गीत नहीं गाता हूं...

Webdunia
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,


 
टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूं।
गीत नहीं गाता हूं।
 
लगी कुछ ऐसी नजर,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं।
गीत नहीं गाता हूं।
 
पीठ में छुरी सा चांद,
राहु गया रेखा फांद,
मुक्ति के क्षणों में बार-बार बंध जाता हूं।
गीत नहीं गाता हूं।
 
 
साभार : मेरी इक्यावन कविताएं 
Show comments

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमनें तो इन 6 बातों का रखें ध्यान

गर्मियों में पीरियड्स के दौरान इन 5 हाइजीन टिप्स का रखें ध्यान

मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है आयरन की कमी, जानें इसके लक्षण

सिर्फ 10 रुपए में हटाएं आंखों के नीचे से डार्क सर्कल, जानें 5 आसान टिप्स

कच्चे आम का खट्टापन सेहत के लिए है बहुत फायदेमंद, जानें 10 फायदे

मंगल ग्रह पर जीवन रहे होने के कई संकेत मिले

महिलाओं को पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते वक्त नहीं करना चाहिए ये 10 गलतियां

Guru Tegh Bahadur: गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती, जानें उनका जीवन और 10 प्रेरक विचार

मातृ दिवस पर कविता : जीवन के फूलों में खुशबू का वास है 'मां'

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमनें तो इन 6 बातों का रखें ध्यान