कुहू-कुहू कर मीठे स्वर में,
हमें बुलाती
रानी।
अमराई में तान सुरीली,
उसकी लगती बड़ी सुहानी।।1।।
बौरों के सौंधी खशबू को,
चहुं दिशा में महकाती है।
रंग-बिरंगे पंछी के संग,
फुदक-फुदककर गाती है।।2।।
बगिया के सारे पंछी के,
मन को सचमुच हर लेती है।
ऋतुराज के इस मौसम में,
ढेरों खुशियां भर देती है।।3।।