✕
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
उत्तर प्रदेश
क्राइम
फैक्ट चेक
ऑटो मोबाइल
व्यापार
मोबाइल मेनिया
लोकसभा चुनाव
समाचार
स्पेशल स्टोरीज
रोचक तथ्य
चर्चित लोकसभा क्षेत्र
लोकसभा चुनाव का इतिहास
भारत के प्रधानमंत्री
IPL 2024
IPL टीम प्रीव्यू
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
मूवी रिव्यू
वेब स्टोरी
आने वाली फिल्म
खुल जा सिम सिम
बॉलीवुड फोकस
आलेख
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
शिरडी साईं बाबा
श्रीरामचरितमानस
आलेख
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
रामशलाका
राशियां
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
चौघड़िया
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
NRI
मोटिवेशनल
रेसिपी
नन्ही दुनिया
पर्यटन
रोमांस
साहित्य
श्रीरामचरितमानस
धर्म संग्रह
काम की बात
क्रिकेट
अन्य खेल
खेल-संसार
शेड्यूल
श्रीराम शलाका
मध्यप्रदेश
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
चुटकुले
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
Hindi
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
समाचार
लोकसभा चुनाव
IPL 2024
बॉलीवुड
धर्म-संसार
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
श्रीरामचरितमानस
धर्म संग्रह
काम की बात
क्रिकेट
श्रीराम शलाका
मध्यप्रदेश
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
नई कविता : देखते रहते हैं राह...
Webdunia
देवेंन्द्र सोनी
खिड़की के पास बैठकर
देखते हैं वे हमेशा ही
सूनी निगाहों से अपलक
उस ओर, जहां से -
बंधी है थोथी उम्मीद उनकी।
एक राह निकलती है -
जो जोड़ती है, उनके घर को।
दिखता है खिड़की से हर मंजर
जो उछलता-कूदता चलता है
दिन-रात उस राह पर।
इसी राह से आशा है उन्हें
कि लौटा लाएगी जरूर
एक न एक दिन
विदेश गए अपने नाती-पोतों
और बेटा-बहू को।
अरसा बीत गया है देखे उन्हें
थक गई हैं आंखें
बाट जोहते-जोहते
खिड़की पर बैठकर ।
मन मसोस कर रह जाती है
बुढ़िया भी अब उनकी
झल्ला कर देती है ताना
खिड़की से तांका-झांकी करने का।
खुलकर दे नहीं सकती दिलासा
तो आरोप यही लगाती है।
छुप-छुप कर छुपा लेती है आंसू
एहसास नहीं होने देती है,
पर दुनिया देखी जिस बुढ़ऊ ने
वो कैसे इससे अनजान रहे ?
आस बंधा कर एक-दूजे को
तकते रहते हैं, दोनों ही राह सदा ।
जीवन की भी तो हो गई है संध्या
देखो, सूरज भी तो अब अपने घर चला।
आएंगे बच्चे भी घर अपने
सूरज के ढलते ही, पर
मन में है यह डर बसा-
मौन निशा के अंधकार में
देखेंगे फिर वे उन्हें कैसे भला ?
दर्द नहीं यह एक पिता का,
कई पिता हैं, ऐसे बेचारे
बच्चे ही समझें अब तो
रहें पास बनकर सहारे ।
धन-दौलत तो है चंचला
कभी न कभी मिल ही जाएगी।
छूट गया यदि साथ मात-पिता का
हो न सकेगी फिर इनकी भरपाई।
वक्त अभी भी है बच्चों ,
निर्णय तुमको करना है
वक्त यही फिर-फिर लौटेगा
जिससे तुम्हें भी गुजरना है।
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
Show comments
सभी देखें
जरुर पढ़ें
गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद
हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड
गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?
पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत
सभी देखें
नवीनतम
कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स
क्या होता है Nyctophobia, कहीं आपको तो नहीं हैं इसके लक्षण?
चेहरे पर रोज लगाती हैं फाउंडेशन? हो सकती हैं ये 7 स्किन प्रॉब्लम
अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे
रोज लगाते हैं काजल तो हो जाएं सावधान, आंखों में हो सकती हैं ये 5 समस्याएं
अगला लेख
कबीर जयंती विशेष : खराजे-अकीदत