हिन्दी कविता : मेरी बेटी, सदा तुम चहकती रहो...

Webdunia
किरण विश्वनाथ जोशी
सच्ची लगन, 
कर्मनिष्ठा और निरंतर प्रयास से 
उच्च शिखर पर बढ़ती रहो, 
 
अपनी लक्ष्मण-रेखा 
स्वयं खींच कर 
मान-सम्मान की गरिमामयी 
घृत दीपज्योति, 
पवित्र आगंन की श्याम तुलसी, 
चौरे की राम तुलसी जैसी मर्यादित, 
सागर सी गंभीरता, 
आकाश की विशालता, 
नभ में अरुंधति-सी चमकती रहो, 
 
मेरे आंगन में हल्दी-कुंकू की रंगोली 
सदा तुम दमकती रहो, 
 
मेरे पावन संस्कारों में पली 
चेहरे पर मर्यादा-मोहिनी सजाए 
सदा तुम चहकती रहो, 
 
मां गौरी का केशर-चंदन, 
भस्मी बाबा भोलेनाथ की 
हमेशा सुख के आशीषों से सराबोर रहो, 
 
रिमझिम सावन की मधुर फुहारों से 
निशदिन भीगती रहो, 
 
माता-पिता के आत्मसम्मान की रजनीगंधा 
मेरे मन की क्यारी में रोज-रोज महकती रहो... 
मेरी बेटी, सदा तुम खुश रहो...!
ALSO READ: बेटी दिवस पर कविता : किलकारी से घर भर देना, सदा तू मुस्काना

ALSO READ: चंचल फौजदार की बेटी पर सशक्त कविता : आने दो बेटियों को धरती पर

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मैंगो फालूदा आइसक्रीम रेसिपी: घर पर बनाएं स्वादिष्ट आम फालूदा

युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?

4:3 डाइट: हफ्ते में सिर्फ 3 दिन डाइटिंग करके घटाएं वजन, जानिए कैसे करता है ये वेट लॉस प्लान कमाल

गर्मियों में घर पर बनाएं ठंडी और कूल वाटरमेलन आइसक्रीम, जानिए आसान रेसिपी

खीरे के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मिलेगा बेदाग निखार, हर कोई करेगा तारीफ

सभी देखें

नवीनतम

माइग्रेन से राहत चाहते हैं? सुबह की ये 10 आदतें तुरंत दूर कर सकती हैं सरदर्द

बेटी के लिए ये नाम हैं परंपरा और सुंदरता का संगम, चुनिए लाड़ली के लिए अपनी पसंद का नाम

गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाएगा ये ड्रिंक, जानिए कैसे घर पर आसानी से बनाएं

2025 में भारत के सबसे साक्षर और निरक्षर राज्य, देखिए पूरी लिस्ट

एक कप चाय और सौ जज्बात

अगला लेख