हिन्दी कविता : आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है...

राकेशधर द्विवेदी
आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है
मां भारती ने लालों को खोया बहुत है


 
सो गए तो वो ऐसे कि सुबह उठ न पाए
सह गए गोलियां पर पीठ न दिखाए
 
हम रहें न रहें पर वतन रहे जिंदा
इस भावना को ले 'अलविदा' कह गए
 
आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है
मां भारती ने लालों को खोया बहुत है
 
गोलियां सीने पर खाई हैं 'मां' मेरी देख
इस कहानी को दुबारा वो कह गए
 
शत्रु फिर जलील हरकत से बाज न आया
सोये निहत्‍थों पर वार करने की आदत को दुहराया
 
आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है
मां भारती ने लालों को खोया बहुत है
 
गौतम-गांधी के संदेश न इनको सुधार पाएंगे
ये केवल गोलियों की भाषा को ही समझ पाएंगे
 
सन् इकहत्तर की लड़ाई को दुहराना जरूरी है
इनके नापाक मंसूबों को मिटाना जरूरी है
 
आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है
मां भारती ने लालों को खोया बहुत है
 
तो फिर आज नौजवानों को न रोको
भारत-माता की संतानों को न टोको
 
शहीद जवानों की याद में हम कुछ कर दिखाएंगे
गुलाम कश्मीर क्या लाहौर और कराची को भी
हम भारत के नक्शे में मिलाएंगे
 
आज मेरा हिन्दुस्तान रोया बहुत है
मां भारती ने लालों को खोया बहुत है। 
 
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