हिन्दी कविता : बहुत शोर है...

सुशील कुमार शर्मा
बहुत शोर है
तेरी रचना, मेरी रचना
तेरा सम्मान, मेरा पुरस्कार
तेरी किताबें, मेरे लेख
तेरी गजलें, मेरी कविताएं
वाह-वाह, हाय-हाय
फेसबुक, व्हॉट्स एप
इंटरनेट, ट्विटर


 
बहुत शोर है
अंतरमन बहुत अशांत
कलह मची है
आज मेरी रचना को
किसी ने नहीं सराहा
आज किसी ने मेरी
रचना पर ध्यान नहीं दिया।
 
आज मुझे ग्रीन कार्ड नहीं मिले
आज मुझे ये सम्मान मिला
आज मुझे ये पुरस्कार मिला
इधर रचना भेजी, उधर किताब छपी
हाय सम्मान, हाय सम्मान
रचनाधर्मिता एक कोने में
पड़ी सिसक रही है
जब भी वह खिड़की से झांकती है
सम्मान, पुरस्कार, किताबें चीखती हैं।
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