कविता : तस्लीमा नसरीन कहां है

Webdunia
बृजमोहन स्वामी "बैरागी"
 
आप उस रात आराम से
नहीं सो सकते,
जब कोई अधनंगा लड़का
आपके कान में आकर कह दे
कि उसकी मां को मार दिया है 
एक घातक उपन्यास ने। 
 
आप कैसे करवटें बदल सकते हैं  
आप भी रहते हैं उस शहर में
जिस शहर में  
दीवारें आधी रात को 
और स्याह हो जाती हैं।
 
कोई भी, तीन शब्दों में उत्तर 
दे सकता है मेरे सवालों का।
मैं शहर की तमाम दीवारों को 
खा जाना चाहता हूं। 
 
नोंच लेना चाहता हूं वो हर बाल
जो धूप के अलावा और किसी भी
तरीके से सफेद हो गया हो,
मैं समेट लेना चाहता हूं
हर गली मोहल्ला अपनी जुबान से
(उस तरह से नहीं जैसे वोट समेटने के लिए
तीखी और तेज जुबान चाहिए)
 
लड़की जैसी शक्ल में एक लड़की
अक्सर आपके सपनो में आती होगी
 
उस अधनंगे लड़के की एक बहन भी थी
उसने आपके कान में यह नहीं बताया होगा। 
उसकी बहन भी खा जाना चाहती थी
शहर की तमाम विचारधाराओं को।
 
मैंने कुछ डरावना खेल
देखा था सपने में। 
मैंने कुछ वक्त सोचा, 
कंबल ओढ़कर चिल्लाऊं, 
किसी पड़ोसी को आवाज दूं, 
या फिर दौड़कर उसे पकड़ लूं
जो लड़की के बाल पकड़कर हंस रहा है।
 
लेकिन मुझे पता है
मेरी गर्दन में एक आठवीं इन्द्रि भी है
शायद इसलिए ही
ऐसे मौकों पर मैं अपनी जुबान काटकर
फ्रीज में रख देता हूं।
 
मैं आपको खुशनसीब समझता हूं
कि अब तक किसी ने 
शब्दभेदी बाण मारकर 
मेरी अभिव्यक्ति नहीं जलाई,
मेरी विचारधारा जलाकर कर मुझे अंधा नहीं किया।
 
हम कैसे जान पाएंगे
कि विकास की गति 
जन्म लेने के बाद क्यों शरू होती है?
 
उम्र के अनुसार ही 
शरीर और दिमाग का विकास क्यों होता है। 
आप सब के गांव या शहर में 
आपकी गलियों में, स्थिर मौसम के उजाले में 
एक बलात्कार टाइप का माहौल बन सकता है।
 
सड़क के बीचों-बीच 
मरे हुए इंसान के चारों ओर 
मरे जानवरों (जिंदा इंसानों) की भीड़ 
लगते हुए देख सकते हैं।
 
बिना टीवी के दिखाई जा सकती है
एक काली कपड़ों में लिपटी विचारधारा।
बलात्कार के उस वक्त
मरे हुए दिमाग खोपड़ी में लेकर कुछ लोग 
एक लड़की के जेहन में 
बहुत सारी हवस उतार देते हैं
या उंड़ेलते हैं
 
इंसान के दिमाग में कई 
खाली गर्त होती हैं लेकिन
उन लोगों के दिमाग में
"एक काला पदार्थ" भर चुका है
वे गर्त धातु के ढक्कनों से ढके हैं।
 
क्या आप समझ सकते हैं 
कट्टरता का जहर इन गर्तों में सड़ता है 
और इससे उत्पन्न होती है "जलन"
"हवस की कैद" 
 
वो अधनंगा लड़का जवान होकर 
बांग्लादेश की एक गली
में नाइ की दूकान पर
सुनता है- तसलीमा नसरीन की आवाज।
 
वो सुबक-सुबक कर अपनी
मरी हुई मां से पूछ सकता है
"मां! तस्लीमा नसरीन कहां गई?"
 
कुछ लेखक/लोग सोच सकते हैं
की ऊंची आवाज में 
घातक दनीश्वरों का विरोध किया जाए। 
 
दब जाती है वो आवाज
लेकिन मरती नहीं
जिंदा हो जाती है अक्सर
नई क्रांति के लिए।
 
यह बात आपको उस वक्त 
समझ में नही आएगी
जब आपकी चमड़ी में घातक 
कट्टरता के लक्षण प्रकट होंगे।
 
ऐसे लक्षण प्रकट होने पर 
इन नस्लों (बच्चों) की उत्पादकता
शायद पहले जैसी न रह जाए।
 
बड़े तुजुर्बे मार दिए जाते हैं 
या दबा दिए जाते हैं कुछ लोग
जो सच का कलेजा देख लेते हैं
 
लिहाजा ऐसे मौकों पर
जैविक विविधता को बचाए रखना
और भी आवश्यक हो जाता है
क्योंकि उसके बिना अगली पीढ़ी मजे कैसे लेगी ?

76वां गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक, जानिए भारतीय गणतंत्र की 26 अनोखी बातें

Republic Day Parade 2025: वंदे मातरम् और जन गण मन में क्या है अंतर?

तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं ये महिला नागा साधु, जानिए कहां रहती हैं

Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस के निबंध में लिखें लोकतंत्र के इस महापर्व के असली मायने

76th Republic Day : गणतंत्र दिवस पर 10 लाइन में निबंध

खजूर से भी ज्यादा गुणकारी हैं इसके बीज, शुगर कंट्रोल से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने तक हैं फायदे

76वां गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक, जानिए भारतीय गणतंत्र की 26 अनोखी बातें

Republic Day 2025: 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस ? पढ़ें रोचक जानकारी

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर भाषण हिंदी में, जानिए शुरुआत कैसे करें?

Happy Republic Day Wishes 2025: गणतंत्र दिवस के 10 बेहतरीन शुभकामना संदेश

अगला लेख