हिन्दी कविता : रंगों की होली

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रंग ढूंढो दुनिया में
मिल जाएंगे अनेक
लेकिन जिसमें मिलते सारे
उस मिट्टी का रंग है एक
 
रंग बिरंगे पक्षियों की
देखो ऊंची उड़ान
लेकिन केवल है नीला
उनका आसमान

तरह-तरह के वस्त्र यहां पर
सबका रंग अलग
एक ही तो होता है
रंग कपास का मगर
 
वर्दी का रंग बताता
कहां है सैनिक रहता
लेकिन उसका रंग एक 
जो खून युद्ध में बहता
 
रंगों को दुनिया के 
साथ बुलाती होली
बैर भुलाती, मेल कराती
जैसे दामन और चोली
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