श्रम दिवस कविता : श्रम दिन - दीन श्रम

Webdunia
राकेश भैया 
बासी सपने रांध-रांध 
भूख पेट की बांध-बांध 
सुबह से आंसू पीते हैं
जाने कैसे जीते हैं 
 
सूखी साधे सींच-सींच 
भाव-भावना भींच-भींच
अंतर मन तक रीते हैं
जाने  कैसे  जीते  हैं 
टूटी आशा जोड़-जोड़ 
उम्र के टुकड़े तोड़-तोड़
उम्मीद के चिथड़े सीते हैं 
 जाने कैसे जीते हैं 
 
उखड़ी सांसें थाम-थाम 
सुबह दुपहरिया शाम-शाम
दिन की तरह से बीते हैं 
जाने कैसे जीते हैं 
 
बेदर्द वक्त से हार-हार
चाहत मन की मार-मार
बने बेस्वाद कसैले तीते हैं
जाने कैसे जीते हैं 
 
बदरंग जिंदगी पाप-पाप 
बचपन से लागा शाप-शाप 
मरने के सभी सुभीते हैं 
फिर भी जाने कैसे जीते हैं...                 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

पांच जून को 53 साल के होंगे सीएम योगी, इस बार बेहद खास होगा उनका जन्मदिन

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

अगला लेख