काव्य : बेटी के हाथ की मेंहदी...

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
संजय वर्मा "दृष्टि"
 
निखर जाती है
बेटी के हाथों की सुंदरता 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।














मेहंदी, रोसा और बेटी 
लगती जैसे बहनें हो आपस में 
महकती, निखरती जाए 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
 
मेहंदी भी जाती है बेटी के 
संग ससुराल में 
बाबुल की यादों के 
बेटी आंसू कैसे पोंछे 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
 
जब न होगी बेटियां 
तो किसे लगाएंगे मेहंदी
होगी बेटियां तब ज्यादा ही रचेगी 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी । 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

होली विशेष भांग की ठंडाई कैसे बनाएं, अभी नोट कर लें यह रेसिपी

महिलाओं के लिए टॉनिक से कम नहीं है हनुमान फल, जानिए इसके सेवन के लाभ

चुकंदर वाली छाछ पीने से सेहत को मिलते हैं ये अद्भुत फायदे, जानिए कैसे बनती है ये स्वादिष्ट छाछ

मुलेठी चबाने से शरीर को मिलते हैं ये 3 गजब के फायदे, जानकर रह जाएंगे दंग

वास्‍तु के संग, रंगों की भूमिका हमारे जीवन में

सभी देखें

नवीनतम

विचार बीज है और प्रचार बीजों का अप्राकृतिक विस्तार!

यूक्रेन बन रहा है यूरोप के लिए एक निर्णायक परीक्षा का समय

क्या है होली और भगोरिया उत्सव से ताड़ी का कनेक्शन? क्या सच में ताड़ी पीने से होता है नशा?

पुण्यतिथि विशेष: सावित्रीबाई फुले कौन थीं, जानें उनका योगदान

Womens Day: पुरुषों की आत्‍महत्‍याओं के बीच महिलाएं हर वक्‍त अपनी आजादी की बात नहीं कर सकतीं

अगला लेख