कविता: उनकी तारीफ के कसीदे

Webdunia
निशा माथुर
उनकी तारीफ के कसीदे.. 
कभी शबनमी-सी रात कभी, भीगी-भीगी, चांदनी से होते हैं
मुझपे गजल वो कहते हैं, तो कभी, मुझे गजल-सा कहते हैं।
 
उनकी तारीफ की अदा.. 
चांद की मदमाती चांदनी से, यूं मेरे अक्स को छू जाती है,
शरारात भरी नजरों से मेरे दिल को, तार- तार कर जाती है।
 
उनकी तारीफ के लफ्ज .. 
बिखरे हैं फकत आरजुओं से तो, कभी जुस्तजू से खिलते हैं,
दुआ में फरिश्तों को शामिल कर, उस दुआ से फलते हैं।
 
उनकी तारीफ का अंदाज..
फूलों सा हंसी, चांदनी का गुरूर, मुझे चांद-सा महजबी,कहता है,
कहते हैं कि जो तू गर देख ले दर्पण, तो वो भी महक उठता है।
 
उनकी तारीफ की हंसी.. 
मेरे लबों से छूकर फिर उनकी आंखों से, टपकती खिलखिलाती है,
चांद के चांदनी नूर से सराबोर करती, मुझे कोहीनूर बना जाती है।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.