कविता : कविता किसके लिए

राकेशधर द्विवेदी
सोचता हूं लिखूंगा कविता
उस व्यक्ति पर जो
भरपेट भोजन के सपने लिए
आज मरा है।

 
सोचता हूं लिखूंगा कविता
उस मजदूर पर
जिसने तपती धूप में
अपने स्वेद कणों से
एक भव्य इमारत का निर्माण किया
लेकिन उसके
शिलान्यास पत्थर पर
उसका कहीं नाम नहीं।
 
सोचता हूं लिखूंगा कविता
उस किसान पर
जिसने भूखे पेट रहकर
धरती से अन्न उगाए हैं
इसलिए कि देशवासी
भूखे न रहें। 
 
सोचता हूं लिखूंगा कविता
उस जवान पर
जो कारगिल की दुर्गम चोटियों पर
देश की रक्षा करते शहीद हो जाता है
इसलिए कि देश
जिंदा रह सके।
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