हिन्दी कविता : प्रेम

Webdunia
आकाश नि‍धि‍  
प्रेम अभिलाषा है,
या फिर जिज्ञासा है,
कुछ पाने की, या
फिर कुछ देने की आशा है,

प्रेम ईश्वर है, या
फिर ईश्वर प्रेम है,
प्रेम करना है, तो
क्या आवश्यक संयोग है?
प्रेम आकर्षण है, या
फिर आकर्षण प्रेम है,
प्रेम बतलाने की, या
फिर जीवन की नेमि है,               
प्रेम किसी स्वरूप से है,
या फिर निज स्वरूप दर्शन है,
प्रेम किसी यौवनपन से, या
आत्मशुद्धि प्रलोभन है,
प्रेम चढ़े जो हाला सा, तो
असुर साम्य होता है,
अमिय रस गर बरसाये,              
तो सुर समान होता है,
प्रेम, भक्ति में क्या अंतर है?
या दोनो समान हैं,
दोनों ही गर मिल जाए,
जीवन सुंदर सोपान है
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

खूबसूरत और हेल्दी बालों के दुश्मन हैं ये 5 सबसे खराब हेयर ऑयल्स, क्या आप भी कर रहे हैं इस्तेमाल?

डिहाइड्रेशन से लेकर वजन घटाने तक, गर्मियों में खरबूजा खाने के 10 जबरदस्त हेल्थ बेनिफिट्स

अखरोट के साथ ये एक चीज मिलाकर खाने के कई हैं फायदे, जानिए कैसे करना है सेवन

गर्मियों में वजन घटाने के दौरान होने वाली 8 डाइट मिस्टेक्स, जो बिगाड़ सकती हैं आपके फिटनेस गोल्स

केले में मिला कर लगाएं ये सफेद चीज, शीशे जैसा चमकने लगेगा चेहरा

सभी देखें

नवीनतम

इन कारणों से 40 पास की महिलाओं को वेट लोस में होती है परेशानी

लू लगने पर ये फल खाने से रिकवरी होती है फास्ट, मिलती है राहत

बच्चों की मनोरंजक कहानी : गुस्सा हुआ छू-मंतर

गुड फ्रायडे के खास व्यंजन कौनसे हैं?

उर्दू: हिंदुस्तान को जोड़ने वाली ज़बान-ए-मोहब्बत

अगला लेख