अगर बेटी को सुखी देखना चाहते हैं, तो बहू का सम्मान कीजिए।
अगर बीवी से प्यार करते हैं, तो बहन को स्वीकार कीजिए।
अगर मां की ममता चाहते हैं, तो कन्या का दान कीजिए।
अगर यह सब सही है, तो बेटी पैदा कर स्वयं पर अभिमान कीजिए।
नोट : एक बेटी ही है, जो कि हर रूप में हमारे साथ रहती है। बेटियों से भी मेरा निवेदन है कि वे भी अपनी जड़ें स्वयं न खोदें, क्योंकि वे ही सृष्टि की आधारशिला हैं।