दीपपर्व कर कविता : ज्योतिर्मय हो दिवाली

सुशील कुमार शर्मा
हम सबकी पावन ज्योतिर्मय हो दिवाली,
सब कड़वाहट पी लें हम हो मन खाली।


 
जो भी कष्ट दिए तुमने मैंने सब माफ किए,
जो भी बातें बुरी लगी हों कर देना दिल से खाली।
 
देश और विश्व कल्याण की बातें हम सब करते हैं,
आस-पड़ोस के रिश्तों में क्यों खींचा करते हम पाली।
 
इस दिवाली पर हम सब मिलकर प्रण करते,
तेरे घर मेरा दीपक हो मेरे घर तेरी हो थाली।
 
प्रेम के दीपक जलें खुशियों के बंदनवार सजें,
विश्वासों की उज्ज्वल ज्योति हम सब ने मन में पाली।
 
(सभी प्रियजनों को दीपावली की मंगल कामनाएं...!)
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