हिन्दी कविता : वर्तमान साहित्य

राकेशधर द्विवेदी
कवि नजरबंद है और लेखनी निराश है
भारत धरा की जनता अब तो उदास है


 
साहित्य जगत से अब न कोई रह गई आशा
क्योंकि वहां पसरा हुआ है सन्नाटा
 
सूर्य हुआ अस्त है, लुटेरा हुआ मस्त है
साहित्यकार आज यश भारती में व्यस्त है
 
देश और प्रदेश में लुट रहा इंसान है
न्याय है रो रहा, चीखता हर विद्वान है
 
त्राहि-त्राहि मच रही हर नगर हर गली
मगर साहित्यकार को इससे है क्या पड़ी
 
कवि नजरबंद है और लेखनी उदास है
भारत धरा की जनता अब तो उदास है
 
सृजन भी आज उदास है और गमगीन है
क्योंकि कवि, कविधर्म छोड़कर
चाटुकारिता में तल्लीन है
 
लेखनी को त्यागकर सत्ता का वह दास है
उसका जीवन वृत्त आज अवसरवादिता का संवाद है
 
ऐसे वह लोकधर्म कैसे निभा पाएगा
या केवल सत्ता का प्रवक्ता वह कहलाएगा
 
कवि नजरबंद है और लेखनी निराश है। 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

लिवर में चर्बी जमा सकते हैं ये 10 फूड्स, क्या आप भी कर रहे हैं इनका सेवन?

हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ उम्र का असर भी कम करता है टोफू, जानिए क्या होता है और कैसे कर सकते हैं डाइट में शामिल

जानिए दाल सब्जी में नींबू की कुछ बूंदें निचोड़ कर खाने से शरीर को मिलते हैं क्या फायदे

40 के आस - पास इस तरह अपना खयाल रखने से, मेनोपॉज की तकलीफ को कर सकती हैं कम

स्किनकेयर टिप: ड्राई हो या ऑइली, दोनों स्किन टाइप पर ग्लो लाएगा ये एंटी एजिंग फेस पैक

सभी देखें

नवीनतम

क्या सच में कैंसर पेशेंट्स के लिए फायदेमंद है मैक्रोबायोटिक डाइट? जानिए कौन से फूड्स है इसमें शामिल

पफिनेस से लेकर ओपन पोर्स की समस्या से छुटकारा दिलाती है ये छोटी सी हेबिट

10 फूड्स और ड्रिंक्स जो देंगे आपको ब्राइट, स्ट्रॉन्ग और हेल्दी स्माइल, जानिए इनके चौंकाने वाले फायदे

गर्मियों में जान का खतरा बन सकते हैं दुनिया के ये 7 सबसे जहरीले फल

भगवान हनुमान के कल्याणकारी नामों में से चुनें बेटे के लिए नाम, व्यक्तित्व पर होगा महाबली का प्रभाव

अगला लेख