हिन्दी कविता : आंगन सजाता है...

शम्भू नाथ
द्वारे पर फूल होना,
घर-आंगन को सजाता है।


 
सुखिया हिलोरा लेती है, 
मन को हंसाता है। 
 
महक जाते हैं तन-मन, 
गमकती हैं दिशाएं। 
 
ख्वाब सच होने लगते, 
जाग जाती आशाएं। 
 
पथ पथिक बन करके फूल, 
राहों को दिखाता है। 
 
जब आते लोग मिलने के खातिर, 
स्वागत है करता हंस के। 
 
छोड़ता सुगंध अपनी जब, 
महकता है द्वार कस के। 
 
हमेशा सद्कर्मों पर भी, 
चलना भी सिखाता है। 

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