बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय : संत कबीरदासजी के 10 लोकप्रिय दोहे

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Kabir jayanti : 14 जून 2022 बुधवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूर्णिमा के दिन संत कबीरदासजी की जयंती मनाई जाएगी। संत कबीर एक आध्यात्मिक गुरु, दार्शनिक और कवि थे। यूं तो उनके कई दोहे प्रसिद्ध हैं लेकिन यहां प्रस्तुत है मात्र 10 प्रचलित दोहे।
 
1. जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
 
2. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
 
3. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
 
4. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
 
5. जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
 
6. निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
 
7. कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर।
 
8. हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी  मुए, मरम न कोउ जाना।
 
9. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥
 
10. मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ॥

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