कविता : पानी बचाना चाहिए...

सुशील कुमार शर्मा
फेंका बहुत पानी अब उसको बचाना चाहिए, 
सूखे जर्द पौधों को अब जवानी चाहिए।


 
वर्षा जल के संग्रहण का अब कोई उपाय करो, 
प्यासी सुर्ख धरती को अब रवानी चाहिए। 
 
लगाओ पेड़-पौधे अब हजारों की संख्या में, 
बादलों को अब मचलकर बरसना चाहिए। 
 
समय का बोझ ढोती शहर की सिसकती नदी है, 
इस बरस अब बाढ़ में इसको उफनना चाहिए। 
 
न बर्बाद करो कीमती पानी को सड़कों पर, 
पानी बचाने की अब एक आदत होनी चाहिए।
 
रास्तों पर यदि पानी बहाते लोग मिलें, 
प्यार से पुचकारकर उन्हें समझाना चाहिए। 
 
'पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून',
हर जुबां पर आज ये कहावत होनी चाहिए। 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पापा सिर्फ शब्द नहीं, पूरी जिंदगी का सहारा हैं...फादर्स डे पर इमोशनल स्पीच

वॉकिंग या जॉगिंग करते समय ना करें ये 8 गलतियां, बन सकती हैं आपकी हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन

मानसून में हार्ट पेशेंट्स की हेल्थ के लिए ये फूड्स हैं बेहद फायदेमंद, डाइट में तुरंत करें शामिल

फादर्स डे पर पापा को स्पेशल फील कराएं इन खूबसूरत विशेज, कोट्स और व्हाट्सएप मैसेज के साथ

क्या आपको भी ट्रैवल के दौरान होती है एंग्जायटी? अपनाएं ये टॉप टिप्स और दूर करें अपना हॉलिडे स्ट्रेस

सभी देखें

नवीनतम

याददाश्त बढ़ाने के लिए आज से ही छोड़ दें अपनी ये 8 आदतें, दिमाग पर डालती हैं बुरा असर

मन सच्चा, कर्म अच्छा और बाकी सब महादेव की इच्छा... पढ़ें शिव जी पर लेटेस्ट कोट्स

हादसों पर 10 मशहूर शेर

स्किन के लिए जादुई है ग्रीन टी की पत्तियां, जानिए इससे बनने वाले ये 3 खास फेस पैक्स के बारे में

फादर्स डे 2025: पिता कब हो जाते हैं दुखी, जानिए 5 खास कारण

अगला लेख