एक चिंगारी है बहुत

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हर्षवर्ध न आर् य
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एक चिंगारी ह ै बहुत दीया जलाने के लिए
एक आशा है बहुत कुछ कर दिखाने के ‍लिए ।

चाँद पूनम का भले ही बादलों ने ढक‍ लिया
एक तारा है बहुत मंजिल दिखाने के लिए ।

एक कड़वे बोल से जब झुलस जाती बस्तियाँ
बोल मीठा इक बहुत मरहम लगाने के लिए ।

पत्थरों में क्यों भटकता-घूमता दिन रात तू
खोल दिल के द्वार इक उसको रिझाने के लिए ।

ज्यों लुटाता खिलखिला कर फूल खुशबू बाग में
जिंदगी चलती रहे खुशियाँ लुटाने के लिए ।

यों सुना अपनी ग़ज़ल ज्यों गुनगुनाती है नदी
धार जिसकी प्यास दुनिया की मिटाने के लिए ।

साभार : अक्षरम् संगोष्ठी

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