कब ऐसा सोचा था मैंने मौसम भी छल जाएगा, साव न भादों की बारिश में घर मेरा जल जाएगा, रंजोगम की लंबी रातों! इतना मत इतराओं तुम, निकलेगा कल सुख का सूरज अंधियारा टल जाएगा अक्सर बातें करता था जो दुनिया की तब्दीली की, किसे खबर थी वो दुनिया के रंगों में ढल जाएगा नफ़रत की पागल चिंगारी कितनों के घर फूँक चुकी, अगर न बरसा प्यार का बादल सारा शहर जल जाएगा दुख की इस नगरी में आखिर रैन बसेरा है सबका, आज रवाना होगा कोई और कोई कल जाएगा।