नंदीगण नतमस्तक सम्मुख,
नीलकंठ पर शोभित विषधर।
मूषक संग गजानन बैठे,
कार्तिकेय संग मोर खड़े॥
सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर.
सुंदरता चहुंओर भरे..
अंतरमन से तुझे पुकारूं...
हर हर हर महादेव हरे.........
पीड़ित जन हम युगों युगों से
आकर तेरे द्वार खड़े
जितना भोला मुखमंडल है
उतना तीखा भाला है
सुना है तूने, राम कृष्ण के
उतर धरा, दुखः दूर करे..........
सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर.
सुंदरता चहुंओर भरे..
अंतरमन से तुझे पुकारूं...
हर हर हर महादेव हरे.........
जन जन के हृदय में बसे हो,
पशु पक्षी के प्राणनाथ हो।
शत-शत नमन त्रिलोकी तुमको
जय जय जय पशुपतिनाथ हरे॥
सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर.
सुंदरता चहुंओर भरे..
अंतरमन से तुझे पुकारूं...
हर हर हर महादेव हरे.........