तुम जा रहे थे

फाल्गुनी

Webdunia
ND
तुम जा रहे थे
तुम्हारे पीछे उड़ रही थी धू ल,
भिगोती रही देर तक
जैसे स्वर्ण-कण सी बरखा में
नहा उठा हो दिल।

तुम जा रहे थे
तुम्हारे पीछे बरस रहे थे अमलता स,
सहला रहे थे शाम तक
जैसे बसंत की बहार में
बँधा रहे हो आस।

ND
तुम जा रहे थे
तुम्हारे पीछे थिरक रहे थे मयू र,
बहला रहे थे तुम बिन
जैसे बिदाई की रागिनी में
बिखर गए हों सुर।

तुम जा रहे थे
तुम्हारे पीछे सुबक रही थी पगडंडिया ँ,
रोक कर हिचकियाँ
जैसे साथ दे रही हो
रोती बचपन की सखियाँ।

तुम जा रहे थे
तुम्हारे पीछे खिला अकेला चाँद
कच्चा और कुँवारा
औ र कसक बन गई दिल में
तुम्हारी एक तड़पती याद।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

सभी देखें

नवीनतम

गुरु हर किशन जयंती, जानें इस महान सिख धर्मगुरु के बारे में 6 अनसुनी बातें

‘इंतज़ार में आ की मात्रा’ पढ़ने के बाद हम वैसे नहीं रहते जैसे पहले थे

भारत के विभिन्न नोटों पर छपीं हैं देश की कौन सी धरोहरें, UNESCO विश्व धरोहर में हैं शामिल

चैट जीपीटी की मदद से घटाया 11 किलो वजन, जानिए सिर्फ 1 महीने में कैसे हुआ ट्रांसफॉर्मेशन

मानसून में चिपचिपे और डैंड्रफ वाले बालों से छुटकारा पाने के 5 आसान टिप्स