तुम्हारे ख्वाब गुलाबी रोशनी की तरह

प्रेम कविता

रवींद्र व्यास
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तारे, चंद्रमा, पेड़

असँख्य तारे हैं

जिनमें तुम्हारी आँखों की चमक है

और चंद्रमा भी

जो अँगूठी की तरह

रात की अँगुली में जगमग है

और अधखिले फूल भी हैं इतने हैं

जो तुम्हारी जुल्फों में

खिल जाने के लिए बेताब हैं

इतने नक्षत्र हैं जिनके दुपट्टों में

तुम्हारे ख्वाब

गुलाबी रोशनी की तरह तैर रहे हैं

और मुहूर्त भी

जिसमें तुम मुझे अपने पास

आने के लिए पुकार सको

और वह पेड़ शरमाते हुए

कितना हरा हो गया है

जिसके पीछे छिपते हुए

तुमने मुझे छुआ।

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