तुम्हारे हाथों को छुआ मैं वसंत हुई

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इन्द्रधनुषों से घिरी हुई हूँ मैं

जब से तुमने मुझे

नाम से पुकारा है ।

जबसे तुम्हारे हाथों को छुआ

मैं वसंत हुई

फिर पतंगों सा उड़ा मन

देख कर तुमको।

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