दीप पर्व की शुभकामनाएं !!!!!

स्मृति आदित्य
राष्ट्र-लक्ष्मी की वंदना करते हुए
क्यों न मनाएं दीप पर्व 
कुछ इस रूप में, 
 
संस्कार की रंगोली सजे, 
विश्वास के दीप जले, 
 
आस्था की पूजा हो, 
सद्‍भाव की सज्जा हो, 
 
प्रेम की फुलझड़ियां जलें, 
आशाओं के अनार चलें, 
 
ज्ञान का वंदनवार हो, 
विनय से दहलीज सजे, 
 
सौभाग्य के द्वार खुले, 
उल्लास से आंगन खिले, 
 
प्रेरणा के चौक-मांडने पूरें, 
परंपरा का कलश धरें, 
 
संकल्प का श्रीफल हो, 
आशीर्वाद का मंत्रोच्चार, 
 
शुभ की जगह लिखें कर्म 
और लाभ की जगह कर्तव्य, 
 
विजयलक्ष्मी की स्थापना हो, 
अभय गणेश की आराधना। 
 
सृजन की सुंदर आरती हो, 
क्यों न ऐसी शुभ क्रांति हो। 
 
मनाएं स्वर्णिम पर्व
इस भाव रूप में, 
क्यों न मनाएं दीप पर्व 
सुंदर स्वरूप में।

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