नदी श्रृंखला की कविताएँ

Webdunia
- प्रेमशंकर रघुवंशी
NDND
चिंता में डूबी नदी
सूखकर काँटा होती

चिड़चिड़ी होते ही
रूक जाती धार

और क्रोध से
बन जाती रेत

ओ! मेरी गाँव की नदी
हँसती रह हर दम

हरदम हँसती नदी
हरहाल में पानीदार नदी होती है!

साभार : पहल

Show comments

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

वर्ल्ड इमोजी डे: चैटिंग में सबसे ज्यादा यूज होते हैं ये 5 इमोजी, लेकिन 99.9% लोग नहीं जानते असली मतलब

सिर्फ नौकरी नहीं, उद्देश्यपूर्ण जीवन चुनिए

बारिश के मौसम में आंखों में हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां, जानिए कैसे करें देखभाल

1 चुटकी नमक बन रहा मौत का कारण, उम्र कम होने के साथ बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा

कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती