वेणुगोपाल की कविता

खतरे

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खतरे पारदर्शी होते हैं ।
खूबसूरत ।
अपने पा र भविष्य दिखाते हुए ।

जैसे छोटे से गुदाज बदन वाली बच्च ी
किसी जंगली जानव र का मुखौटा लगा ए
धम्म से आ कूदे हमारे आग े
और हम डरें नहीं।
बल्कि दे ख ले ं
उसके बचपन के पा र
एक जवान खुश ी

और गोद में उठा ले ं उसे ।

ऐसे ही कुछ होते हैं खतरे ।
अगर डरें तो खतरे और अग र
नहीं त ो भविष्य दिखात े
रंगीन पारदर्शी शीशे के टुकड़े।

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