वो दीये क्यों बुझाके रखता था

ग़ज़ल

Webdunia
ज्ञानप्रकाश विवेक
NDND
तमाम घर को बयाबाँ बनाके रखता था
पता नहीं वो दीये क्यों बुझाके रखता था

बुरे दिनों के लिए उसने गुल्लकें भर लीं
मैं दोस्तों की दुआएँ बचा के रखता था

वो तितलियों को सिखाता था व्याकरण यारों !
इसी बहाने गुलों को डराके रखता था

नदी का क्या पता इस तरह दिल बहल जाए
मैं उसपे कागजी कश्ती बनाके रखता था

मेरे फिसलने का कारण भी है यही शायद
कि हर कदम मैं बहुत आजमा के रखता था

हमेशा बात वो करता था घर बनाने की
मगर मचान का नक्शा छुपाके रखता था

न जाने कौन चला आए वक्त का मारा
कि मैं किवाड़ से साँकल हटाके रखता था

वो संगसार न होता तो और क्या होता
हुजूरे-खास में सिर को उठाके रखता था।

Show comments

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

वर्ल्ड इमोजी डे: चैटिंग में सबसे ज्यादा यूज होते हैं ये 5 इमोजी, लेकिन 99.9% लोग नहीं जानते असली मतलब

सिर्फ नौकरी नहीं, उद्देश्यपूर्ण जीवन चुनिए

बारिश के मौसम में आंखों में हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां, जानिए कैसे करें देखभाल

1 चुटकी नमक बन रहा मौत का कारण, उम्र कम होने के साथ बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा

कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती