शीश-मौर बाँधने लगा फागुन

Webdunia
शिव बहादुर सिंह भदौरिया
NDND
आमों के शीश-
मौर बाँधने लगा फागुन।

शून्य की शिलाओं से-
टकराकर ऊब गई,
रंगहीन चाह
नए रंगों में डूब गई,
कोई मन-
वृंदावन,
कहाँ तक पढ़े निर्गुन।

खेतों से-
फिर फैली वासंती बाँहें,
गोपियाँ सुगंधों की,
रोक रही राहें,
देखो भ्रमरावलियाँ -
कौन-सी
बजाएँ धुन।
बाँसों वाली छाया
देहरी बुहार गई,
मुट्ठी भर धूल, हवा,
कपड़ों पर मार गई,
मौसम में-
अपना घर भूलने लगे पाहुन।

Show comments

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

हैप्पी बर्थडे डियर बेस्टी... बेस्टफ्रेंड और जिगरी दोस्त को इस खास अंदाज में करें विश, पढ़ें हिंदी में ये 20 जन्मदिन की शुभकामनाएं

मचा या ग्रीन टी: दोनों में से क्या बेहतर?

5 एंटी-एजिंग ट्रेंड्स जो आपकी स्किन के लिए हो सकते हैं जानलेवा, मान लीजिए ये सलाह

धर्म या अहंकार: विश्व अशांति का मूल कारण

NCERT की किताबों में अकबर को बताया क्रूर, जानिए अकबर की वो 5 गलतियां, जो बन गईं उसकी बदनामी की वजह