एक दिन बाहर बच्चे बहुत हल्ला कर रहे थे। जोर-जोर से चिल्ला रहे थे- 'सांप... सांप...!' मैं भागकर बाहर गई तभी देखा कि एक बड़ा सांप पेड़ पर चढ़ा हुआ था और चिड़ियों के घोंसलों मैं घुस-घुसकर उनके अंडे खा रहा था। देखकर मन पसीज गया। बहुत बेसहारा-सा भाव आ रहा था मन में। सारी चिड़िया शोर करती हुइ इधर-उधर उड़ रही थी। ऐसा लग रहा था, जैसे कुछ पलों में ही उस सांप ने उसका पूरा घर तहस-नहस कर दिया हो।
मैंने जल्दी से रामू काका को मदद के लिए बुलाया। रामू काका बांस लेकर आए ही थे कि वह सांप पेड़ से नीचे उतर गया और अपने बिल की तरफ जाने लगा।
रामू काका उसे देखकर बोले- 'यह तो वही नागिन है जिसने हमारे घर के पीछे अंडे दिए हैं।'
नागिन भी तो एक मां है... उसे देख मैं सोचती रही कि क्या नागिन का चिड़िया के बच्चों को खाना सही था? आखिर वह भी तो एक मां थी।