उद्योग और व्यापार की दुनिया के लिए क्रिसमस का दिन और उसके पूर्ववर्ती हफ्तों का समय इतना आलीशान होता है, कि जितना दूसरा कोई वक्त नहीं हो सकता। सड़कों पर पहाड़ी बीन-बाजों के रोमांचक स्तर गूँजते हैं। बड़ी कंपनियाँ, जो कल तक सकल उत्पादों और लाभांशों की गणना में अनमने व्यस्त रहीं, वे अब मानवीय अनुरागों और मुस्कुराहटों के लिए अपने दिल खोल देती हैं। संचालक मंडलों का पूरा ध्यान अब अपने हमराहियों का मन प्रसन्न रखने में लगा रहता है। वे दूसरी कंपनियों और विशेष व्यक्तियों को शुभकामना-संदेशों में लिपटे उपहार भेजते हैं।
हर फर्म किसी दूसरी फर्म को उपहारस्वरूप कुछ देने के इस्तेमाल में लेने के लिए किसी तीसरी फर्म के उत्पादों की खूब बड़ी तादाद खरीदने में लगी रहती हैं। वे फर्में अपने तईं किसी और ही फर्म से दूसरों के देने के उपहारों की ज्यादा ही बड़ी मात्रा खरीदती हैं। उनके कार्यालयों की खिड़कियाँ देर रात तक प्रदीप्त रहती हैं। विशेषकर नौपरिवहन विभाग की, कि जहाँ के कर्मचारी अपनी पाली के निर्धारित से अधिक समय पुलिदों और डिब्बों पर आवरण लपेटते जाते हैं। धुँधले शीशों के पार बर्फ की परत बिछे फुटपाथोंपर बीन वादक गाते-बजाते चलते हैं।
भेदभरे स्याह पर्वतों से नीचे उतर नगर के व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र में पहुँच, चौराहों की अतिशय रोशनियों से, और अत्यधिक भड़कीले विज्ञापनों से किंचित चौंधियाए वे, शीश नवा मुँह फुला, अपने वाद्य बजाते हैं। उस धुन पर व्यवसायियों केबीच स्वर्थों की भारी मुठभेड़ें थम जाती हैं। यद्यपि किसी नई प्रतिस्पर्धा में जा उपजती हैं। यों, कि कौन कितने अधिक आकर्षक ढंग से सर्वाधिक उत्कृष्ट और अनोखी भेंट प्रस्तुत करता है।
मिसलेतो और हॉली के पौधों की कोमल डंठलों से सजे और बढ़िया-बढ़िया रिबनों से बँधे और नाना रंगों के कागजों में लिपटे पूड़ों लदी मोटरसाइकल-ट्रक पर सांता क्लाज का रूप धरा मार्कोवाल्दो नगर में चला। सफेद सूती दाढ़ी उसे जरा चुभती।
स्वाव एंड कंपनी का जनसंपर्क अधिकारी अपने संचालक मंडल को सुझाता है, कि अत्यधिक महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए क्रिसमस उपहार सांता क्लाज का स्वांग धरे आदमी द्वारा भेजे जाएँ।
संस्था का आलाकमान सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव मान लेता है। सांता क्लाज की नख-शिख से सांगोपांग साज-सज्जा, श्वेत दाढ़ी, लाल टोपी और श्वेत रोएँ की झालर लगी कुर्ती, लंबी जूतियाँ भी खरीदी जाती हैं। इस वेशभूषा को कंपनी के कतिपय सेल्समैनों पर आजमाया गया, यह देखने कि सर्वश्रेष्ठ ढंग से वह किस पर जँचेंगी। लेकिन या तो कोई नाटा निकला कि दाढ़ी जमीन छूती या फिर कोई ज्यादा ही मोटा-तगड़ा कि उसकी देह में कुर्ता नहीं फँसा।
तीसरा कोई इतना जवान, कि छोकरा दिखे, तो चौथा खूब बूढ़ा। इतना बूढ़ा, कि उस पर बनाव-श्रृंगार आजमाना व्यर्थ होता। विपणन विभाग ने चाहा कि सांता जहाज के भीतर भी घूमे, विज्ञापन विभाग ने कंपनी के नाम के प्रचार बाबद अपनी चिंता दर्शाते सुझाया कि स्वाव अक्षरों से सज्जित दो फुग्गे किसी रस्सी पर ऊँचे लटकाए जाएँ।
जहाज के भू-परिवहन विभाग में मार्कोवाल्दो के हाथों बढ़िया माल गुजरता, क्योंकि वहाँ पण्यों के लदान और उतार दोनों होते। हालाँकि वह सामान्य आनंदोत्सव में नाना सौदों के महज उतार-चढ़ाव ही में हिस्सा ले प्रसन्ना नहीं हो रहा था, बल्कि इस ख्याल में भी मनमुदित थाकि हजारों-हजार पूड़ों-पेटियों के इस भूल-भूलैया के निपटारे के बाद, केवल उसी की बाट जोहता एक पूड़ा, यानी जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार उपहार उसके समक्ष होगा।
वह कुछ और सोचकर भी खुश था, यों कि महीने बाद क्रिसमस बोनस और अतिरिक्त अवधि काम करने कीमजूरी मिला, अच्छी-खासी पगार उसके हाथ आएगी। उस पैसे से, वह भी ये वो दुकानें दौड़ ये वो खरीद, अपनी दिली भावनाओं के रूप में और उद्योग एवं व्यापार के सामान्य सौजन्य स्वरूप, उपहार पेश करेगा।
ND
सामान्य प्रशासन विभाग का प्रमुख अधिकारी कोई नकली दाढ़ी उठाए नौ परिवहन विभाग पहुँचा। 'ऐ, तुम! जरा सुनो!' उसने मार्कोवाल्दो को पुकारा, 'जरा इस दाढ़ी को पहनो और देखो कैसी लगती है। बढ़िया, बिलकुल बढ़िया! सो, तुम बन गए सांता। ऊपर चले आओ। जल्दी करो। अगर तुम घर-घर जा कुल पचास उपहार पहुँचा दोगे, तो तुम्हें एक खास बोनस मिलेगा।'
मिसलेतो और हॉली के पौधों की कोमल डंठलों से सजे और बढ़िया-बढ़िया रिबनों से बँधे और नाना रंगों के कागजों में लिपटे पूड़ों लदी मोटरसाइकल-ट्रक पर सांता क्लाज का रूप धरा मार्कोवाल्दो नगर में चला। सफेद सूती दाढ़ी उसे जरा चुभती, तथापि उसी ने उसके गले को ठंड की मार से बचाया।
उसका पहला पड़ाव अपना ही घर था, क्योंकि वह बच्चों को चौंकाने के लोभ का संवरण नहीं कर पा रहा था। पहले तो उसने सोचा, वे पहचान नहीं पाएँगे। फिर, बेशक, खूब हँसेंगे।
बच्चे सीढ़ियों पर खेल रहे थे। उन्होंने उसकी ओर देखा न देखा। 'ही, पापा।'
मार्कोवाल्दो का मन टूट गया। 'हुहँ...। देखा नहीं क्या पहना हूँ?'
' उसमें ऐसा खास क्या है? पिएत्रशिओ बोल पड़ा, सांता क्लाज की तरह ना?'
' और तुमने मुझे झट से पहचान भी लिया?'
' आराम से! हमने सीन्योर सिगिसमोंद को भी पहचान लिया था। वह तो तुमसे भी ज्यादा नकलची बना हुआ था।'
' जेनिटर के बहनोई को भी!'
' गली के नुक्कड़ पर रहते जुड़वाँ-भाइयों के पापा को भी.'
' और, उस दो चोटीधारी एरोंस्तिना के चाचा को भी।'
' सभी सांता क्लाज समान वेशधारी थे?' मार्कोवाल्दो ने पूछा और, उसकी आवाज, परिवार द्वारा अचंभा न दर्शाने ही की नहीं बल्कि इस वजह से भी बुझ गई थी, कि इससे कंपनी की प्रतिष्ठा भी काफी कुछ घटेगी।
' हाँ, हाँ। तुम्हारी ही तरह,' बच्चों ने जवाब दिया। 'ऐसी ही नकली दाढ़ी लगाए हुए थे वे सभी।' उन्होंने तत्क्षण पीठ दिखा अपना खेल पुनः जारी कर लिया।
हुआ यों कि कई कंपनियों के जनसंपर्क-अधिकारियों को एक साथ यही युक्ति सूझी थी। उन्होंने कई लोगों को, अधिकांश बेरोजगारों, जैसे पेंशनरों, ठेलेवालों आदि को, लाल कुर्ता पहना, सफेद दाढ़ी से सिरज, रोजी पर लगा लिया था। बच्चे, परिचित पड़ोसियों को छद्मवेश में देख शुरू-शुरू किंचित चकराए, लेकिन थोड़ी ही देर में वे ऊब गए। अंततः उन्होंने ध्यान देना बंद कर दिया।
जो खेल वे खेल रहे थे उसने अपने रंग में उन्हें गहरा डूबो रखा था। एकत्र हो वे धरती पर वृत्ताकार बैठे थे। 'जरा बताओ तो, तुम लोग क्या बना रहे हो?'
' हमें तंग न करो, पापा। हम उपहार तैयार कर रहे हैं।'
' उपहार! किसके लिए?'
' गरीब लड़के के लिए। गरीब लड़का ढूँढ उसे उपहार देंगे।'
' तुम्हें किसने बताया?'
' पाठ्यपुस्तकों ने।'
मार्कोवाल्दो कहने ही वाला था कि तुम तो खुद ही गरीब बच्चे हो। लेकिन इस बीते हफ्ते वह अपने ही पर यों कायल हुआ था, मानो वह धनवानों की बस्ती का निवासी हो, जहाँ सभी खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, मजे मार रहे हैं, उपहारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। अतः गरीबी का उल्लेख करना तक अनुचित है, इसीलिए उसने दावा किया, 'गरीब बच्चे कहीं नहीं हैं।'
मिशेलिनो खड़ा हो गया। उसने पूछा, 'तो फिर हमारे लिए उपहार क्यों नहीं लाते पापा।'
मार्कोवाल्दो के कलेजे में चोट महसूस हुई। 'मुझे थोड़ा जरूरी काम पूरा कर लेने दो', उसने झटपट जवाब दिया, 'फिर तुम्हारे लिए कुछ लाता हूँ, देखना!'
' कैसे ज्यादा कमाओगे जरूरी काम करके?'
' उपहार बाँटकर!' मार्कोवाल्दो बोला।
' हमें?'
' नही, दूसरे लोगों को।'
' हमें क्यों नहीं? उससे तो जरूरी काम जल्दी पूरा हो जाएगा।'
मार्कोवाल्दो ने तब समझाया, 'क्योंकि मैं मानव संपर्क सांता क्लाज नहीं, जन-संपर्क सांता क्लाज हूँ। समझे?'
' नहीं।'
' कोई बात नहीं।' यद्यपि खाली हाथ घर आने की गलती पर कैसे न कैसे खेद जताने के मद्देनजर उसने घर-घर उपहार वितरण की परिक्रमा में मिशेलिनो को साथ ले चलने का मन बनाया। 'तुम्हारी इच्छा हो तो मेरे साथ चल अपनी आँखों उपहार वितरण करते पापा को देख सकते हो।' उसने छोटी मोटरगाड़ी पर बैठने के लिए अपनी एक टाँग उछाली।
' ठीक है, चलता हूँ। शायद कोई गरीब लड़का मुझे मिल जाए।' मिशेलिनो बोला और उछल कर पापा के कंधे पकड़ पीछे जा बैठा।
सड़कों पर मार्कोवाल्दो को लाल और सफेद वेशधारी अन्य सांता ही मिले। उसके पूर्णतया हमशक्ल, जो छोटे-छोटे मोटर टेम्पो या माल वितरक रिक्शों को चला रहे थे या झोले उठाए ग्राहकों के लिए दुकानों के द्वार खोल रहे थे या खरीदे सौदे को उनकी कारों तकउठा ले जा रहे थे। फिर सारे के सारे सांता यों एकाग्र और व्यस्त लग रहे थे, मानो बड़े दिन के मौसम के उपयुक्त व्यवसाय की विशालकाय यांत्रिकी के संचालन की जिम्मेदारी उन्हीं की हो।
ठीक उन्हीं के समान मार्कोवाल्दो, फेहरिस्त के मुताबिक एक से दूसरे पते-ठिकाने दौड़ा और हर बार सीट में फँसी सूची के अनुसार गाड़ी के भीतर से उपहार का पूड़ा चुन, द्वार खोलने आए व्यक्ति को, इन शब्दों, 'स्वाव एंड कंपनी की ओर से मेरी क्रिसमस और हैप्पी न्यू ईयर' के साथ, भेंट करते हुए, बदले मिली बख्शीश जेब के हवाले करता गया।
ये बख्शीश पर्याप्त हो सकती थी और मार्कोवाल्दो काफी कुछ तृप्त मालूम दे सकता था, लेकिन कुछ ना कुछ खटकता था। हर बार, मिशेलिनो को साथ ले, किसी घर का द्वार खटखटाते वह मेजबान के चेहरे पर अचरज के भाव उभरने का पूर्वानुमान लगाता। यों, कि द्वार खोलतेही मेजबान अपने समक्ष साक्षात सांता क्लाज को खड़ा पाएगा। उसे किसी चकराहट, जिज्ञासा, कृतज्ञता की उम्मीद थी। लेकिन हर जगह उसे चिट्ठी बाँटते किसी सामान्य डाकिए या फिर रोजाना अखबार बाँटते किसी मामूली हॉकर समान आने-जाने दिया गया।
उसने किसी आलीशान घर का द्वार खटखटाया। किसी गवर्नेस ने द्वार खोला, 'ओह, कोई अन्य उपहार! यह किसने भेजा?'
' स्वाव एंड कंपनी की ओर से मेरी...'
' ठीक है, भीतर ले आओ!' बोलते हुए उसने सांता क्लाज को भित्ति चित्रों, रंगीन कालीनों और चमचमाते गुलदानों की सजावट से विन्यस्त किसी गलियारे में आने दिया। मिशेलिनो अपने पिता के पीछे-पीछे चला। उसकी आँखें फटी की फटी थीं।
गवर्नेस ने शीशे का कोई द्वार खोला। वे इतनी ऊँची थीं कि देवदार का खूब ऊँचा पेड़ उसके नीचे आ जाए, इतनी ऊँची छत वाले कमरे में दाखिल हुए। वहाँ कोई 'पवित्र पेड़', नाना रंगों के काँच के बुलबुलों से जगमगाता हुआ कोई 'क्रिसमस ट्री' था, जिसकी शाखाओं परभाँति-भाँति के उपहार और मिष्ठान्ना लटके थे।
किसी विशाल कालीन पर इतने असंख्य खिलौने, मानो दुकानों में हों, यत्र-तत्र फैले पड़े थे, उसमें से अधिकांश विद्युत की जटिल युक्तियों से संचालित थे। कुछेक कृत्रिम अंतरिक्षीय जहाज थे। उस कालीन के किसी खाली कोने में करीब नौ वर्षीय छोटा सा एक लड़का, ऊब और मनहूसियत भरी मुद्रा में पट लेटा था। वह किसी सचित्र ग्रंथ के पन्नो उलट रहा था। इतना अन्यमनस्क मानो इर्द-गिर्द की वस्तुओं से उसका कोई ताल्लुक न हो।
' ग्याफ्रेंको, देखो! ग्याफ्रेंको,' गवर्नेस बोली, 'देखो तो, सांता क्लाज फिर आया है। एक और भेंट लाया है?'
' तीन सौ बारह' बच्चे ने हवासी भरी, उसने पुस्तक से सिर जरा ऊँचा नहीं किया। 'इसे भी वहीं कहीं रख दो।'
' यह यहाँ आया तीन सौ बारहवाँ उपहार है,' गवर्नेस बोली, 'ग्याफ्रेंको बहुत होशियार है। पूरी गिनती रखता है। एक भी नहीं चूकता। गिनती लगाना उसका गहरा शौक है।'
पैरों फुदकते मार्कोवाल्दो और मिशेलिनो बाहर चले आए।
' पापा, वो गरीब लड़का है?' मिशेलिनो ने पूछा।
मार्कोवाल्दो गाड़ी में रखे सामान को पुनर्व्यवस्थित कर रहा था। उसने तत्क्षण जवाब नहीं दिया। लेकिन पलभर बाद चिल्ला पड़ा, 'गरीब? क्या कह रहे हो तुम...? उसका पापा बहुत बड़ा आदमी है, मालूम? क्रिसमस उत्सव की विपणन संस्था का अध्यक्ष है वह। उसका नाम है जनाब...'
वह अचानक रुक गया, क्योंकि उसे मिशेलिनो कहीं नजर नहीं आया। 'मिशेलिनो! मिशेलिनो! कहाँ हो?' वो कहीं गायब हो गया था।
कहीं ऐसा तो नहीं, कि उसने किसी और सांता क्लाज को देख गलती से उसे पापा समझ लिया हो और उसकी गाड़ी जा चढ़ा...। मार्कोवाल्दो ने अकेले ही परिक्रमा जारी रखी, गो किंचित चिंतित था। अतः शीघ्र घर जा पहुँचा।
घर पर उसने मिशेलिनो को भाइयों के साथ मस्ती से खेलते देखा।
' क्यों, कहाँ चले गए थे?'
' उपहार लेने घर आया था...गरीब बच्चे को देने के लिए...।'
' क्या कह रहे हो, किसे...।'
' वो, वो ना इतना उदास वो...वो जो बड़े घर में क्रिसमस ट्री के नीचे लेटा था...।'
' उसे? उसे क्या उपहार दे आए?'
' ओह पापा! हमने सबकुछ बहुत बढ़िया जमाया...तीन उपहार। सभी को चमकीले कागजों में लपेटकर ले गए।'
छोटे बच्चे बोल पड़े, ' हम सब उसके पास गए। वह खूब खुश हुआ।'
' क्या कह रहे हो' मार्कोवाल्दो चिल्लाया, 'बड़े तुम आए तीस मार खाँ कि तुम्हारे उपहारों ने उसे खुश किया।'
' हाँ, पापा, हाँ!... वह उठकर दौड़ा। उसने तत्काल कागज का आवरण फाड़ा। देखते ही खुश हुआ...।'
' अच्छा, क्या था उसमें?'
' पहला था एक हथौड़ा। वो बड़ा-सा गोल हथौड़ा, लकड़ी का...।'
' उसका क्या किया उसने?'
' खुशी से झूम पड़ा! उसे उठा तत्क्षण चलाने लगा।'
' कैसे?'
' उसने सारे खिलौने तोड़ डाले! काँच के सारे सामान भी। फिर उसने दूसरा उपहार उठाया...।'
' वो क्या था?'
' एक गुलेल। अब देखते उसे पापा! कितना खुश हुआ वह! उसने क्रिसमस ट्री के सारे रंगीन लट्टुओं को निशाना बना फोड़ डाला। फिर काँच के दीपवृक्षों को...।'
' बस, बस। और कुछ नहीं सुनना! बहरहाल, वो तीसरी चीज...वो क्या थी?'
' अब हमारे पास कुछ नहीं था, सो हमने रसोई का ईंधन जलाने वाली दीयासलाई की एक डिबिया को चमकीले कागज में लपेट उसे दे दिया। यह तो उसके लिए सबसे बढ़िया उपहार सिद्ध हुआ। वो बोला, उसके पापा-मम्मी ने उसे कभी भी दीयासलाई जलाने नहीं दी! फिर उसने एक केबाद एक तीलियाँ घिसना शुरू किया और...।'
' और?'
'... और सबकुछ जला डाला!'
मार्कोवाल्दो ने सिर खुजाया, 'अब तो मैं बर्बाद हो गया।'
दूसरे दिन, काम पर जाते, उसे अपने ऊपर तूफान के उमड़ पड़ने की आशंका हुई। वहाँ पहुँच पुनः फटापट सांता क्लाज का वेश धारण किया। गाड़ी पर उपहारों को जमाया। फिर चकित हुआ, क्योंकि किसी ने उसे कुछ नहीं कहा! तब उसने तीनों विभागों : जनसंपर्क, विज्ञापन, विपणन के प्रमुखों को अपनी ओर आते देखा।
' ठहरो' वे बोले, 'सबकुछ नीचे उतार दो! तत्काल!'
तो ये हुआ! मार्कोवाल्दो को मन ही मन लगा। अब वे मुझे बर्खास्त कर देंगे।
' जल्दी करो! सारे पूड़े-पेटियाँ बदल डालो,' तीनों प्रमुख एक साथ बोल पड़े, 'क्रिसमस-उत्सव की विपणन संस्था ने विनाशकारी उपहार प्रोत्साहित करने का अभियान चलाया है।'
' क्षण में ऐसा आवेश भर आने के मद्देनजर,' कोई एक प्रमुख बोल पड़ा, 'उन्होंने तत्काल विचार बदल नई युक्ति सोची...।'
' अध्यक्ष को अचानक कोई अंतःप्रेरणा हुई,' दूसरा प्रमुख आगे बढ़ समझाने लगा, 'क्योकि उसके छोटे लड़के को कोई, शायद जापानी किस्म की कोई, अत्याधुनिक वस्तु कहीं से उपहारस्वरूप मिली, जिससे बालक पहली बार प्रत्यक्षतया आनंद मना रहा है।'
' सबसे अहम यह कि' तीसरे ने कहा, 'विनाशक उपहार हर तरह की चीजों को नष्ट करने काबिल होता है। ठीक यही तो खपत की प्रगति बढ़ा देने और बाजार में उछाल लाने की बात है...। सबकुछ न्यूनतम समय में और बालक की क्षमता के अंतर्गत...। समिति के अध्यक्ष अपने आगे कोई नया आकार रूप लेता देख रहे हैं। वे आनंद के संसार में गोता लगाते मालूम दे रहे हैं, बड़े उत्साहित हैं...।'
' लेकिन क्या उस बालक ने...' मार्कोवाल्दो थोड़ी मंद आवाज में बोला, 'क्या उसने ज्यादा सामान तोड़ दिया?'
' कोई अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि पूरा घर जलकर खाक हो गया...।'
मार्कोवाल्दो पुनः सड़क पर दिन होते हुए भी ऐसी, मानो रात में प्रदीप्त हुई सड़क पर लौट आया। सड़क माँओं और बच्चों और अंकलों और दादा-दादियों और नाना-नानियों और पूड़ों-पेटियों और गुब्बारों और झूला गाड़ियों और क्रिसमस-वृक्षों और सांता क्लाजोंऔर मुर्ग मसालों और भुने गोश्तों और फलों के पकवानों और शरबतों की बोतलों और गायकों और चिमनी सफाइगरों और कालिख लगी अँगीठियों की लौ पर तगारियों में सेंके जा रहे चेस्टनट बेचते विक्रेताओं से भरी पड़ी थी।
और, नगर किसी जंगल के स्याह हृदय में धँसे चेस्टनट-पेड़ों के सदियों पुराने तनों के बीच और बर्फ के अनंत लबादे से घिरे किसी ज्योतिर्मय जहाज के समान छोटा मालूम दिया। अँधेरे में कहीं भेड़िए की हुआँ सुनाई दी। चेस्टनट के काँटों की परत के नीचे गुनगुनी लाल धरती में, बर्फ तले दबा, खरगोसों का कोई बिल था।