सुहागन

लघुकथा

Webdunia
ज्योति जै न
NDND
नई-नवेली बहू द्वार पर खड़ी थी। सास-ननदें, बुआ सास, चाची सास, मामी सास सभी स्वागत हेतु खड़ी थीं। अचानक ही सास को छोड़ सबमें फुसफुसाहट शुरू हो गई। स्वागत के नेकचार कौन करेगा! सास तो विधवा थी।

सारी स्थिति को समझ वह स्वयं पीछे हट गई। सब सुहागनों ने राहत की साँस ली। लेकिन वस्तुस्थिति को भाँप चुकी नई बहू ने दृढ़ता पूर्वक लेकिन नम्रता से नजरे झुकाए ही अपने वर से कहा - माँ के हाथ से ही नेकचार हों तो आपको कोई आपत्ति तो नहीं? बेटा बोला - कैसी बातें करती हो? मैं तो तुम्हारा प्रस्ताव सुन धन्य हो गया।'

लेकिन डबडबाई आँखों और कंपकंपाते हाथों में शगुन की थाली थामें माँ सोच रही थी। 'काश! ये पहल मेरी बेटी ने की होती। कहीं यह संस्कार न देने के लिए दोषी मैं ही तो नहीं?'

Show comments

इन कारणों से 40 पास की महिलाओं को वेट लॉस में होती है परेशानी

लू लगने पर ये फल खाने से रिकवरी होती है फास्ट, मिलती है राहत

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

5 हजार वर्ष तक जिंदा रहने का नुस्खा, जानकर चौंक जाएंगे Video

योग के अनुसार प्राणायाम करने के क्या हैं 6 चमत्कारी फायदे, आप भी 5 मिनट रोज करें

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

मनोरंजक बाल कहानी: चूहा और शेर

Indian Street Food: घर पर कच्छी स्टाइल दाबेली कैसे बनाएं, जानें पूरी रेसिपी

बाल गीत : चलो खेत में महुए बीने