लघुकथा : सिर्फ चाय

Webdunia
'सवेरे गुड़िया के कारण देर हो गई, बेटा होता तो तैयार होने में इतना समय थोड़े ही लगाता। दिन में भी इसी परेशानी से काम में गड़बड़ हो गई और बॉस की बातें सुननी पड़ीं, पूरे दिन में सिर्फ तीन बार चाय पी है, खाना खाने का भी समय नहीं मिला। अब ठंड इतनी हो रही है और गर्म टोपी और दस्ताने भी भूल गया।' 


सर्द सांझ में थरथराते हुए अपनी इन सोचों में गुम वो जा रहा था कि अनदेखी के कारण अचानक उसकी मोटरसाइकल एक छोटे से गड्ढे में जाकर उछल गई और वो गिर पड़ा। हालांकि न तो मोटरसाइकल और न ही उसे चोट आई, लेकिन उसके क्रोध में वृद्धि होना स्वाभाविक ही था।
 
घर पहुंचते ही उसने गाड़ी पटक कर रखी, आंखें गुस्से में लाल हो रही थीं, घंटी भी अपेक्षाकृत अधिक बार बजाई। दरवाजा उसकी बेटी ने खोला, देखते ही उसका चेहरा तमतमा उठा।
 
लेकिन अपने पिता को देखकर बेटी उछल पड़ी और उसके गले लगकर कहा, 'डैडी, आज मैंने चाय बनाना सीख ली। आप बैठो, मैं सबसे पहले आपको ही चाय पिलाऊंगी।'
 
और अचानक से उसके नथूने चाय की गंध से महकने लगे।


लेखक - चंद्रेश कुमार छतलानी
 
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान),  जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान)। 

 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या होता है DNA टेस्ट, जिससे अहमदाबाद हादसे में होगी झुलसे शवों की पहचान, क्या आग लगने के बाद भी बचता है DNA?

क्या होता है फ्लाइट का DFDR? क्या इस बॉक्स में छुपा होता है हवाई हादसों का रहस्य

खाली पेट ये 6 फूड्स खाने से नेचुरली स्टेबल होगा आपका ब्लड शुगर लेवल

कैंसर से बचाते हैं ये 5 सबसे सस्ते फूड, रोज की डाइट में करें शामिल

विवाह करने के पहले कर लें ये 10 काम तो सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

सभी देखें

नवीनतम

हनुमंत सदा सहायते... पढ़िए भक्तिभाव से भरे हनुमान जी पर शक्तिशाली कोट्स

21 जून योग दिवस 2025: अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के 10 फायदे

मातृ दिवस और पितृ दिवस: कैलेंडर पर टंगे शब्द

हिन्दी कविता : पिता, एक अनकहा संवाद