लघुकथा : घड़े का पानी

सुशील कुमार शर्मा
संतोष मैडम कक्षा में हिंदी पाठ पढ़ा रहीं थीं 'बच्चों हमारे देश में छुआछूत एक सामाजिक बुराई है। हम सभी को इसे दूर करना है। सभी लोगों को ईश्वर ने समान अधिकार के लिए बनाया है अतः हमको जाति-पाति का भेदभाव नहीं करना चाहिए।' 


 
पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने आवाज लगाई- 'अरे कोई पानी तो लाओ रे प्यास लगी है।' 
 
रवि, मैडम को पानी को पिलाने के लिए घड़े की और दौड़ा, अभी घड़े की पास पहुंचा ही था कि मैडम की आवाज गुंजी 'घड़ा मत छूना यहां आकर बैठ।' 
 
रवि सकपकाया-सा अपने स्थान पर आकर बैठ गया।
 
तभी मोहन गिलास में पानी लेकर मैडम के पास पहुंचा- 'मैडम पानी'। 
 
संतोष मैडम ने मोहन की तारीफ करते हुए पानी पिया और पाठ पढ़ाने लगीं 'हां तो बच्चों सभी मनुष्य ईश्वर की संतान हैं ओ हमें एक दूसरे से अपनापन का व्यवहार करना चाहिए। जाति-पाति मनुष्य के बनाए आडम्बर हैं।' 
 
रवि समझ नहीं पा रहा था कि संतोष मैडम ने उस को घड़ा क्यों नहीं छूने दिया।
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Diet Tip : कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए इन 5 तरीकों से खाएं अदरक, दिल की सेहत के लिए है गुणकारी

गर्भावस्था में क्यों बनी रहती है पैरों में सूजन, जानिए कारण और उपचार

नहाने के पानी में मिला लें ये सफेद चीज, खिल उठेगी स्किन और भी हैं कई फायदे

रोज की बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान? हफ्ते में सिर्फ 1 बार लगाएं ये आयुर्वेदिक हेयर मास्क और पाएं राहत

Sleeping Tips : सोने से पहले इन तरीकों से करें मेडिटेशन, मिनटों में दूर होगी नींद न आने की समस्या

सभी देखें

नवीनतम

कभी घरों में बर्तन मांजती थीं दुलारी देवी जिनकी बनाई साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, जानिए उनकी प्रेरक कहानी

बजट में बिहार में मखाना बोर्ड गठन का जिक्र, जानिए कैसे होता है मखाना उत्पादन और सेहत के लिए मखाने के फायदे

Harmful Effects Of Milk : दूध के साथ ये 5 Foods खाना आपकी सेहत पर डाल सकता है उलटा असर, जानें क्यों है ये गलत कॉम्बिनेशन

हिन्दी में मार्मिक कविता: तुम ऐसी तो न थीं

हिन्दी कविता : स्मृतियां अनिमेष

अगला लेख