प्रतीकात्मक चित्र
यहां कहानी ओशो रजनीश ने अपने प्रवचन पथ के प्रदीप में सुनाई थी। यह बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है। यदि आप इसे समझते हैं तो बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं और फिर सफलता आपसे दूर नहीं होगी।
एक राजा ने नाराज होकर अपने वजीर को एक बहुत ऊंची मीनार के ऊपर कैद कर दिया। उस गगनचुंबी मीनार से कूदकर उसके भागने की कोई संभावना नहीं थी।
उस वजीर को जब मीनार की तरफ ले जाया जा रहा था, तो वह जरा भी चिंतित और दुखी नहीं था। उसकी पत्नी ने रोते हुए उसे विदा दी और उससे पूछा कि वह प्रसन्न क्यों है। उसने कहा कि यदि रेशम का एक अत्यंत पतला सूत भी मेरे पास पहुंचाया जा सका, तो मैं स्वतंत्र हो जाऊंगा।
उसकी पत्नी सारी बात समझ गई लेकिन उस ऊंची मीनार पर रेशम का पतला सूत पहुंचाने का उसे कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था। तब उसे एक फकीर मिला और उसने कहा- भृंग नाम के कीड़े को पकड़ो। उसके पैर में रेशम के धागे को बांध दो और उसकी मूछों पर शहद की एक बूंद रखकर उसे मीनार पर, मुंह चोटी की ओर करके छोड़ दो।
वजीर की पत्नी ने उस रात्रि को यही किया गया। वह कीड़ा सामने मधु की गंध पाकर उसे पाने के लोभ में मीनार के ऊपर पहुंच गया। उसके पैर में बंधा रेशम का धागा भी ऊपर पहुंच गया। वह रेशम का पतला धागा वजीर की मुक्ति बन गया। क्योंकि, उससे फिर सूत का धागा बांधकर ऊपर पहुंचाया गया। सूत के धागे से डोरी पहुंच गई और फिर डोरी से मोटा रस्सा पहुंच गया। अंत में वह वजीर रस्से नीचे उतर कर कैद के बाहर हो गया।
ओशो कहते हैं- अंधकार से भरी रात्रि में प्रकाश की एक किरण का होना भी सौभाग्य है, क्योंकि जो उसका अनुसरण करते हैं, वे प्रकाश के स्रोत तक पहुiच जाते हैं। मनुष्य के भीतर जो जीवन है, वह अमृत्व की किरण है- जो बोध है, वह बुद्धत्व की बूंद है और जो आनंद है, वह सच्चिदानंद की झलक है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि आपके पास जो है उससे बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। आप सोचिए और एक छोटी सी युक्ति या आइडिया आपका जीवन बदल सकता है। आप यह न सोचे कि आप मुसीबत में हैं आप यह सोचे कि इसका समाधान क्या हो सकता है। जैसा कि वजीर ने निश्चिंत होकर सोचा।
- ओशो की पुस्तक पथ के प्रदीप से साभार