एक व्यक्ति भगवान बुद्ध के पास आकर बोला- भगवन, मैं लगातार आपके प्रवचन सुन रहा हूं। आप बड़ी अच्छी-अच्छी बातें कहते हैं, लेकिन मेरे ऊपर इनका कोई असर नहीं होता। मैं गुस्सा खूब करता हूं और लालच में रात-दिन फंसा रहता हूं। आपकी बातों से रत्तीभर भी अंतर नहीं आया।
बुद्ध मुस्कराकर उसकी बात सुनते रहे फिर बोले- कहां के रहने वाले हो? उसने कहा- राजगृही के। बुद्ध- कहां बैठे हो? उसने कहा- श्रावस्ती में। बुद्ध- राजगृही यहां से कितनी दूर है? हिसाब लगाकर उसने बताया- 120 कोस। बुद्ध- वहां पहुंचने में कितनी देर लगती है? उसने कहा- 'पैदल जाओ तो तीन दिन, सवारी से जाओ तो एक।
बुद्ध- अच्छा, अब एक बात बताओ। उसने कहा- क्या? बुद्ध- यहां बैठे-बैठे क्या तुम राजगृही पहुंच सकते हो? खीजकर उसने कहा- यहां बैठे-बैठे वहां कैसे पहुंच सकते हैं? बुद्ध ने पूछा- तब? वह बोला- राजगृही पहुंचने के लिए चलना होगा।
बुद्ध ने कहा- बस, यही बात मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि मंजिल पर पहुंचने के लिए चलना जरूरी है। मेरी बातों का असर तभी होगा, जब तुम उनके अनुसार चलोगे, अपने जीवन में उन बातों पर अमल करोगे।
- ओशो रजनीश की प्रवचनमाला से साभार