लघुकथा : दोहरी जिम्मेदारी

देवेन्द्र सोनी
सत्तर की उम्र पार कर रहे रमेश और उनकी पत्नी राधा अपनी बहू रमा की तारीफ करते नहीं अघाते। जब भी कभी उनसे मिलने कोई रिश्तेदार या पड़ोसी आए- रमा की तारीफों का टेप चालू हो जाता। आगंतुक भी रस ले-लेकर रमा की बड़ाई करते, साथ ही अपनी पढ़ी-लिखी बहुओं का रोना रोते।
 
रमेश उन्हें दिलासा देते और कहते- भाई जमाने के साथ चलना सीख लो। थोड़ी समझदारी रखो और अपने बच्चों को स्वतंत्र जिंदगी जीने का अवसर दो। बहू को बेटी सिर्फ कहो ही नहीं, उसे बेटी मानो भी। फिर देखो आपकी बहुएं भी रमा की ही तरह सेवा करेंगी। हां, स्वभाव तो अब हमको ही अपना बदलना होगा, सामंजस्य की पहल भी हमको ही करना होगी।
 
आज भी रमेश के एक मित्र सुधीर उनसे मिलने आए थे। आते ही बोले- भाई रमेश। कहां गई- रमा बिटिया। आज तो उसने मुझे कांजीबड़ा खाने के लिए बुलाया था। कहीं दिख नहीं रही। तभी राधा अंदर से- कांजीबड़ा और मिठाई लेकर आती हुई बोलीं- अरे, भाई साहब। रमा ने ऑफिस जाने के पहले ही बना लिए थे और कहकर गई है- अंकल को जी भर के खिलाना, मांजी। अंकल को बहुत पसंद हैं। सो, लीजिए- अपनी चहेती बिटिया के हाथ के कांजीबड़ा। रमा भी आती ही होगी- ऑफिस से।
 
 
अभी सब स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद ले ही रहे थे कि तभी रमा भी आ गई। अंकल को चरण स्पर्श किया और बोली- पिताजी पहले आंखों में ड्रॉप डलवाइए। यह कहकर रमा ड्रॉपर उठा लाई। रमेश और उनके मित्र की आंखों में सजलता साफ दिख रही थी- रमा के कर्तव्यपालन से।
 
तभी राधा बोली- बेटा, पहले मुंह हाथ तो धो ले। आते ही सबकी फ़िक्र करने लगती है।
 
रमा ने ड्रॉपर डाला और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चली गई।
 
 
राधा बोली- देखा भाई साहब। कितना ध्यान रखती है सबका हमारी रमा बेटी। सुबह घर का सारा काम करके जाती है ऑफिस और आते ही फिर अपने कामों में लग जाती है। मुझे तो कुछ करने ही नहीं देती। कहती है- मां-पिताजी, आप सबकी जिम्मेदारी मेरी है। आपने भी तो मेरी खुशियों का ध्यान रखा। मुझे जॉब करने की अनुमति दी। सदा मुझ पर विश्वास किया। इस विश्वास और अपनी जिम्मेदारियों को भला कैसे छोड़ सकती हूं मैं?

 
हां, राधा बहन। सच में आपने और रमेश भाई ने अपनी समझ से बहू को बेटी बना लिया- कहते हुए रमेश के मित्र सुधीर ने उनसे विदा ली। जाते वक्त सुधीर के मन में भी एक संकल्प था- अपनी बहू को जॉब करने की अनुमति देने का। वे समझ गए थे- खुशी, खुशियां देकर ही मिलती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

जानिए कैसे मंगोल शासक अल्तान खान की वजह से शुरू हुई थी लामा परंपरा? क्या है दलाई लामा का इतिहास

Hustle Culture अब पुरानी बात! जानिए कैसे बदल रही है Work की Definition नई पीढ़ी के साथ

ग्लूटाथियोन बढ़ाने के लिए इंजेक्शन या दवाइयां खाने से बेहतर है खाएं ये फल और सब्जियां, जानें कुदरती उपाय

सावन मास में शिवजी की पूजा से पहले सुधारें अपने घर का वास्तु, जानें 5 उपाय

सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए पीएं ये 10 नैचुरल और स्ट्रेस बस्टर ड्रिंक्स

सभी देखें

नवीनतम

बारिश में जॉगिंग या रनिंग करना कितना सेफ है? जानिए फायदे, खतरे और जरूरी सावधानियां

बिस्किट और टोस्ट नहीं, चाय के साथ ये 5 टेस्टी और हेल्दी फूड्स हैं बेस्ट स्नैक

शिक्षाप्रद कहानी: तेनालीराम की चतुरता से बची राजा की जान

फिटनेस के जुनून से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा, वर्कआउट के समय जरूरी है ये सावधानी

गुरु अध्यात्म की ज्योति हैं, गुरु हैं चारों धाम...अपने गुरु का खास अंदाज में करें सम्मान, भेजें ये विशेष शुभकामना सन्देश

अगला लेख