अंतर प्रार्थना का

रमेशचन्द्र शर्मा

Webdunia
NDND
गंगा माँ पिछले तीन साल से बिस्तर पर थी। सारी दिनचर्या बिस्तर पर ही।

' गंगा माँ की तबीयत कैसी है?' छगन काका ने गंगा माँ के इकलौते बेटे देवेश से पूछा।

' पहले जैसी ही है' , देवेश ने जवाब दिया।

' हे राम, ब़ड़ा कष्ट है बेचारी को' , छगन काका ने हमदर्दी जताते हुए राय दी, ' बेटा, अब तो भगवान से प्रार्थना करो कि उसे मुक्ति दे दे।

छगन काका की सलाह सुन पल भर तो उसे लगा कि वह माँ की मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करे। मगर अगले ही पल उसे याद आया कि जब वह छोटा था, तब इतना बीमार प़ड़ा था कि डॉक्टर ने भी हाथ टेक दिए थे।

उस वक्त माँ ने भगवान से दोनों हाथ जो़ड़कर प्रार्थना की थी, ' हे भगवान, तू मेरी जान ले ले, पर मेरे देबू को अच्छा कर दे।' वह सोचने लगा, माँ और बेटे की प्रार्थना में कितना अंतर होता है?

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Diet Tip : कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए इन 5 तरीकों से खाएं अदरक, दिल की सेहत के लिए है गुणकारी

गर्भावस्था में क्यों बनी रहती है पैरों में सूजन, जानिए कारण और उपचार

नहाने के पानी में मिला लें ये सफेद चीज, खिल उठेगी स्किन और भी हैं कई फायदे

रोज की बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान? हफ्ते में सिर्फ 1 बार लगाएं ये आयुर्वेदिक हेयर मास्क और पाएं राहत

Sleeping Tips : सोने से पहले इन तरीकों से करें मेडिटेशन, मिनटों में दूर होगी नींद न आने की समस्या

सभी देखें

नवीनतम

कभी घरों में बर्तन मांजती थीं दुलारी देवी जिनकी बनाई साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, जानिए उनकी प्रेरक कहानी

बजट में बिहार में मखाना बोर्ड गठन का जिक्र, जानिए कैसे होता है मखाना उत्पादन और सेहत के लिए मखाने के फायदे

Harmful Effects Of Milk : दूध के साथ ये 5 Foods खाना आपकी सेहत पर डाल सकता है उलटा असर, जानें क्यों है ये गलत कॉम्बिनेशन

हिन्दी में मार्मिक कविता: तुम ऐसी तो न थीं

हिन्दी कविता : स्मृतियां अनिमेष