व्यभिचार

लघुकथा

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हरिशंकर परसा ई
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कारखाना खुला, कर्मचारियों के लिए बस्ती बन गई। ठाकुरपुरा के ठाकुर साहब और ब्राह्मणपुरा के पंडितजी कारखाने में काम करने लगे और पास-पास के ब्लॉक में रहने लगे।

ठाकुर साहब का लड़का और पंडितजी की लड़की दोनों जवान थे। उनमें पहचान हुई। पहचान इतनी बढ़ी कि वे शादी के लिए तैयार हो गए।

जब प्रस्ताव उठा तो पंडितजी ने कहा-'ऐसा कभी हो सकता है? ब्राह्मण की लड़की ठाकुर से शादी करे। जाति चली जाएगी।'

किसी ने उन्हें समझाया कि लड़का-लड़की बड़े हैं, पढ़े-लिखे हैं समझदार हैं। उन्हें शादी कर लेने दो। अगर उनकी शादी नहीं हुई तो भी वे चोरी-छिपे मिलेंगे और तब जो उनका संबंध होगा, वह तो व्यभिचार कहा जाएगा।

इस पर ठाकुर साहब और पंडितजी ने कहा-'होने दो। व्यभिचार से जाति नहीं जाती, शादी से जाती है।'
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