धार्मिक विचार- भाग 2

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* हमें आशीर्वाद देने में देवता तब गूंगे बन जाते हैं, जब हमारा ह्रदय उनकी वाणी सुनने में बहरा रहता है।

* मनुष्य का जन्म तो सहज होता है, पर मनुष्यता उसे कठिन प्रयत्न से प्राप्त करनी पड़ती है।

* सादगी, अपने लिए कठोरता और दूसरों के लिए उदारता सभ्यता के स्वरूप है।

* योग्यता और परिस्थिति को ध्यान में रखकर महात्वाकांक्षाएं न गढने वाला दुखी रहता और उपहास सहता है।

* पढ़ने योग्य लिखा जाए, इससे लाख गुणा बेहतर यह है कि लिखने योग्य किया जाए।

* अनजान होना उतनी ही लज्जा की बात नहीं, जितनी सीखने के लिए तैयार न होना।

* असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया।
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