यज्ञ के नौ कुंडों की विशेषता

धर्म में यज्ञों का महत्व

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यज्ञ का आयोजन यज्ञ लौकिक और पारलौकिक दोनों ही प्रकार से सभी के लिए हितकारी है। यज्ञ से वर्षा होती है, वर्षा से अन्न पैदा होता है, जिससे संसार का जीवन चलता है।

वायुमंडल में मंत्रों का प्रभाव पड़ता है जो प्राकृतिक घटनाएं जैसे- भूकंप, ओलावृष्टि, हिंसात्मक घटनाओं का शमन होता है, क्योंकि यज्ञ शब्द ब्रह्म है।

* सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए प्रधान चतुरस्त्र कुंड का महत्व होता है।

* पुत्र प्राप्ति के लिए योनि कुंड का पूजन जरूरी है।

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* ज्ञान प्राप्ति के लिए आचार्य कुंड यज्ञ का आयोजन जरूरी होता है।

* शत्रु नाश के लिए त्रिकोण कुंड यज्ञ फलदाई होता है।

* व्यापार में वृद्धि के लिए वृत्त कुंड करना लाभदाई होता है।

* मन की शांति के लिए अर्द्धचंद्र कुंड किया जाता है।

* लक्ष्मी प्राप्ति के लिए समअष्टास्त्र कुंड, विषम अष्टास्त्र कुंड, विषम षडास्त्र कुंड का विशेष महत्व होता है।
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